कोरोना वायरस को लेकर एम्स नई दिल्ली की ओर से की गए नए शोध के मुताबिक, इस खतरनाक वायरस ने 65 साल की उम्र वाले बुजुर्ग लोगों की तुलना में 50 साल से कम उम्र वाले लोगों को अपना शिकार बनाया। कोरोना वायरस की वजह से जो मौतें हुईं, उसमें ज्यादातर लोगों की उम्र 50 साल से कम है।
ये नया शोध के लेखकों में एम्स निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉक्टर राकेश मल्होत्रा और दूसरे डॉक्टर शामिल हैं। ये शोध क्रिटिकल केयर मेडिसिन के भारतीय जर्नल में छापा गया है। इस शोध में बीते साल अप्रैल से लेकर जुलाई तक हुई मौतों के आंकड़ों को समावेश किया है।
शोधकर्ताओं ने ये स्टडी इसलिए की, ताकि ये पता लगाया जा सके कि कोरोना से होने वाली मौत के पीछे असल कारण क्या है। स्टडी अवधि के दौरान 654 व्यस्कों को आईसीयू में भर्ती किया गया था, जिनमें से 247 मरीजों की मौत हो गई और मृत्युदर 37.7 फीसदी हो गई।
शोध को और सरल बनाने के लिए व्यस्कों को अलग-अलग समूह में उनकी आयु के हिसाब से बांटा गया। इन्हें तीन समूह में बांटा गया, जिसमें 18-50, 51-65 और 65 से अधिक उम्र वाले समूह शामिल है। शोध में पता चला कि 42.1 फीसदी मौतें 18-50 उम्र वाले समूह की थीं, 34.8 फीसदी मौतें 51-65 औऱ 23.1 फीसदी मौतें 65 साल से ज्यादा उम्र वाले समूह की थीं।
कोविड से होने वाली मौतों में सामान्य घटक हाइपरटेंशन, मधुमेह औऱ क्रोनिक किडनी रोग थे। इनमें से कुछ मरीज बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियों से भी जूझे। हालांकि एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से बचने का एकमात्र इलाज और जरिया वैक्सीनेशन ही है।
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन बनना किसी ऐतिहासिक पल से कम नहीं होगा और एक बार बच्चों के लिए वैक्सीन बन जाने से स्कूलों और कॉलेज को भी दोबारा खोला जा सकेगा।