अहमदाबाद स्थित फ़ार्मा कंपनी ज़ायडस कैडिला ने अपनी कोरोना-रोधी वैक्सीन ‘ज़ायकोव-डी’ के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भारत के औषधि महानिंयत्रक (डीसीजीआई) से मंज़ूरी माँगी है.
देश के सभी बड़े अख़बारों ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है.
लिखा गया है कि ज़ायकोव-डी को मंज़ूरी मिलने के बाद भारत के पास कोरोना-रोधी पाँच टीके उपलब्ध होंगे.
इससे पहले कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पूतनिक-वी और मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी मिल चुकी है.
अंग्रेज़ी भाषा के अख़बार, द टेलीग्राफ़ ने इसे (ज़ायकोव-डी को) बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बताया है.
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “कंपनी के मुताबिक़ ज़ायकोव-डी 12 से 18 साल के बच्चों के लिए सुरक्षित वैक्सीन है. इस वैक्सीन का 28 हज़ार से ज़्यादा लोगों पर नैदानिक परीक्षण हो चुका है. इनमें एक हज़ार से ज़्यादा (12 से 18 साल के) बच्चे भी शामिल थे. ये परीक्षण कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुए थे और कंपनी ने इस वैक्सीन को कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के ख़िलाफ़ भी कारगर पाया है.”
परीक्षणों के मुताबिक़, कोविड-19 के ख़िलाफ़ इस वैक्सीन को 66.6 प्रतिशत तक प्रभावी पाया गया है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, आपातकालीन इस्तेमाल के लिए किसी वैक्सीन को तभी मंज़ूरी दी जाती है, जब उसे बीमारी के ख़िलाफ़ 50 प्रतिशत से ज़्यादा प्रभावी पाया जाये.
कंपनी के मुताबिक़, इस वैक्सीन की तीन ख़ुराक लेनी होती हैं और हर ख़ुराक में तीन मिलीग्राम दवा दी जाती है. इस वैक्सीन को देने के लिए सुई की आवश्यकता नहीं होती.
बताया गया है कि ये टीका सामान्य तापमान (25 डिग्री सेल्सियस) पर तीन महीने तक सुरक्षित रहता है. यानी इसके परिवहन और भंडारण के लिए फ़्रिज के बंदोबस्त की आवश्यकता नहीं होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इसी वजह से इस वैक्सीन की बर्बादी भी कम होगी.
अख़बार ने लिखा है कि ज़ायकोव-डी पहली डीएनए-वैक्सीन है जो औषधि महानिंयत्रक के पास मंज़ूरी के लिए पहुँची है.
इस रिपोर्ट में कैडिला हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर शार्विल पटेल ने कहा, “मंज़ूरी मिलने के बाद, ये वैक्सीन ना सिर्फ़ व्यस्कों के लिए, बल्कि 12 से 18 साल के बच्चों के लिए भी उपलब्ध होगी.”
फिर महँगा हुआ घरेलू एलपीजी सिलेंडर
पेट्रोल और डीज़ल के बाद, अब घरेलू रसोई गैस के दाम भी बढ़ गये हैं.
हिन्दी अख़बार, हिन्दुस्तान ने आम लोगों की जेब पर असर डालने वाली इस ख़बर को पहले पन्ने पर छापा है.
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में बेतहाशा वृद्धि के बीच सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने रसोई गैस के सिलेंडर के दाम में भी इजाफ़ा किया है. घरेलू गैस सिलेंडर की क़ीमतों में 25.50 रुपये की वृद्धि की गई है. इस वृद्धि के बाद सिलेंडर की क़ीमत 834 रुपये हो गई है.
बताया गया है कि नये दाम 1 जुलाई से लागू हो गये हैं. वहीं कमर्शियल सिलेंडर के दाम में भी 76 रुपये का इजाफ़ा हुआ है.
अख़बार ने लिखा है कि 14.2 किलो वाले घरेलू गैस सिलेंडर की क़ीमतों में 1 जनवरी से अब तक, 140 रुपये की वृद्ध हो चुकी है.
हर महीने की शुरुआत में एलपीजी की क़ीमतों की समीक्षा की जाती है. जून में घरेलू गैस की क़ीमतें स्थिर रही थीं, लेकिन जुलाई में गैस महंगी कर दी गई.
सिर्फ़ 22 फ़ीसदी स्कूलों में इंटरनेट, 80 फ़ीसदी में बिजली: यूडीआईएससी रिपोर्ट
यूडीआईएससी यानी यूनिफ़ाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फ़ॉर्मेशन सिस्टम फ़ॉर इजुकेशन की रिपोर्ट से पता चला है कि देश के 15 लाख स्कूलों में से सिर्फ़ 3.36 लाख स्कूलों में ही अभी तक इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है.
ज़्यादातर अख़बारों ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है. अंग्रेज़ी भाषा के अख़बार, द हिन्दू ने लिखा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा जारी वर्ष 2019-20 की यूडीआईएससी रिपोर्ट से देश में शिक्षा व्यवस्था की मौजूदा स्थिति के बारे में कुछ जानकारियाँ मिली हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले शैक्षणिक सत्र में भारत के सिर्फ़ 22 प्रतिशत स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा है.
रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्राइमरी से लेकर हायर सेकेंडरी तक में प्रवेश लेने वालों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इसमें कई चिंताजनक तथ्य भी साफ़ नज़र आते हैं.
रिपोर्ट से पता चलता है कि 15 लाख स्कूलों में से 80 फ़ीसदी स्कूलों में ही बिजली का इस्तेमाल हो रहा है, यानी क़रीब तीन लाख स्कूलों में बिजली नहीं है. जबकि सरकार का दावा है कि हर गाँव में बिजली पहुँचा दी गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, यदि 2012-13 के आंकड़ों से तुलना करें तो स्कूली शिक्षा में लैंगिक असमानता के गैप में काफ़ी सुधार हुआ है.
ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, छात्र शिक्षक अनुपात में भी सुधार हुआ है. यूडीआईएससी देश के 15 लाख स्कूलों से डेटा एकत्र करता है.