शेखर की रिपोर्ट
जहां एक तरफ बोकारो में एशिया का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना लगा है तो वहीं बोकारो नगरी एजुकेशन हब भी कहलाता है अच्छे एजुकेशन को पाने के लिए बोकारो इस्पात नगरी में दूरदराज से यहां पढ़ने आते हैं यहां के निजी स्कूल में 12वीं तक की पढ़ाई अव्वल दर्जे की है वहीं वजह है अलग-अलग जिलों के बच्चे पढ़ने के लिए आते है आपको बताते जाएगी BSL और CBSC की मिलीभगत से बोकारो नगरी मैं शिक्षा का कारोबार बना दिया गया ऐसे इसलिए कि BSL स्कूलों को जितनी जमीन दी थी उसने जमीन पर उसको संचालक संचालित करने के लिए सीबीएसई से मान्यता मिल ही नहीं सकती है इसके बावजूद यह स्कूल दो तीन दशक से धड़ल्ले से चल रही है इतना ही उन्हें इस शर्त के साथ स्कूल खोलने की इजाजत दी गई थी कि पहले प्राथमिकता BSL के कर्मचारी के बच्चे को दी जाएगी लेकिन ऐसा हो नहीं सका बोकारो क्षेत्र में कुछ ऐसे स्कूल है जो इस बात के प्रमाण है सेक्टर नौ स्थित पटेल सेवा संघ नर्सरी स्कूल ,सेक्टर तीन स्थित सैनिक शिक्षा प्रबंधन समिति यानी बोकारो पब्लिक स्कूल, सेक्टर-12 स्थित
Pentacostal assembly school
सेक्टर 6 क्रिसेंट पब्लिक स्कूल
आदि बोकारो के ऐसे कई और भी स्कूल है जो फर्जी तरीके से चल रहे हैं स्कूल साल दर साल गहरी मोटी कमाई कर रहे हैं आपको बताते जाए कि सीबीएसई की गाइड लाइन के अनुसार स्कूल को खोलने के लिए 1 एकड़ जमीन चाहिए लेकिन BSL ने 50 डिसमिल ही जमीन स्कूल को मुहैया कराया है।