हसौद :- एक तरफ सरकार शिक्षा के लिये तमाम बड़े-बड़े वादे करते हैं,बच्चों के दाखिला के लिये तमाम प्रयास करने कि बात करती हैं,वहीं दूसरी ओर सरकार के तमाम दिशानिर्देश को धज्जियां उड़ाने का काम शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किकिरदा में हमेशा से करते आ रहे हैं,यहां प्राचार्य राठिया व सालों से एक ही विघालय में जमे शिक्षकों द्वारा अपनी मनमानी करते आ रहे हैं,यहां के प्राचार्य व शिक्षकों को अपने उच्च अधिकारियों के आदेशों का जरा भी डर नहीं रहता,यहां शिक्षक गुंडागर्दी तक के लिये उतारु हो जाते हैं।
वहीं प्रदेश में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किकिरदा वह पहला ऐसा शासकीय स्कूल बन गया है जहां सीट फुल का हवाला देके छात्रों का एडमिशन नहीं लिया जा रहा है।
दरअसल ताजा एक अनोखा मामला सामने आया,जहां शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किकिरदा में एडमिशन के लिए एक छात्र पिछले 15 दिनों से स्कूल के चक्कर काट रहा हैं,लेकिन उसे पहले तो अभी एडमिशन नहीं होने का हवाला दिया गया,फिर सीट फुल होने का हवाला देकर एडमिशन देने से मना कर दिया गया,अब छात्र इधर-उधर भटकते हुए थक-हार कर हमारे प्रतिनिधि से संपर्क किया।
दीपक कुमार साहू नाम का छात्र किकिरदा में ही निवास करता है,वह अपने उच्च शिक्षा के लिये कोरबा जिला में किराया के मकान में रहकर PWD रामपुर में पढ़ाई करता था,लेकिन लाॅकडाउन के कारण अपने घर किकिरदा आ गया फिर जैसे-तैसे रहकर करके 11 वीं कि पढ़ाई वहां पूरा किया,फिर आगे कि पढ़ाई अपने गांव किकिरदा में ही रहकर कराना चाहता है,इसलिये छात्र पिछले 15 दिनों से कक्षा-12 वीं में एडमिशन के लिये स्कूल का चक्कर काट रहा है जहां उसे शिक्षक मिलेन्द्र केशरवानी द्वारा अभी एडमिशन नहीं हो रहा है करके चलता कर दिया जाता था,फिर सोमवार को एकबार फिर छात्र स्कूल पहुंचा तो प्राचार्य राठिया,शिक्षक रात्रणे द्वारा छात्र से दुर्व्यवहार करते हुए सीट फुल हो गया है तुम्हारा एडमिशन नहीं करेगे
करके बोला गया,वहीं तुम्हें जो करना रहेगा कर लेना बोला गया,आखिर शिक्षकों द्वारा छात्र से यह व्यवहार
कितना न्यायोचित है।
प्राचार्य व शिक्षकों की मनमानी,उच्च अधिकारियों का नहीं है डर
वहीं कुछ बच्चों के पालकों ने बताया कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किकिरदा में पदस्थ प्राचार्य राठिया व लंबे समय से विघालय में पदस्थ 2-3 शिक्षकों द्वारा हमेशा अपनी मनमानी कि जाती है,कई छात्र-छात्राओं को प्रैक्टिकल नंबर का डर दिखाकर खुलेआम धमकी दी जाती है,शिक्षकों को अपने उच्च अधिकारियों का डर नहीं है,कही न कही आधिकारीयों के संरक्षण में ही इनका हौसला बुलंद है।
आखिर शासकीय स्कूल में दाखिला क्यूँ नहीं
हमने जब इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी से ली तो उनका कहना था कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिससे स्कूल में फुल सीट का हवाला देकर एडमिशन से मना कर दिया जाये,मैं इस मामले में प्राचार्य से जानकारी लेती हूं।
अब देखना होगा कि आगे इस मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा प्राचार्य व शिक्षकों पर कार्यवाही की जाती है या मामले में लीपापोती करके दबा दिया जाता है।