अमित खुटें की रिपोर्ट
मस्तूरी नगर पंचायत मल्हार के 35 वर्षीय युवक की लाश मल्हार के छोटागढ़ में मिली है। मृतक छ दिन पहले घर से बिलासपुर जाने के लिए निकला था। तब उससे था लापता लेकिन कुछ अज्ञात लोगों ने उसका हत्या कर उसका शव को गढ़ के अंदर मिट्टी के नीचे दबा दिया था। आखिर इसे इस जगह पर किसने दफनाया फिलहाल पुलिस के लिए जांच का विषय बना हुआ है।जैसे ही गढ़ में बदबू आने लगा तभी वहां के चौकीदार ने गढ़ में भ्रमण करते देखा कि झाड़ियों के बीच 6 बाई 4 का साइज़ में एक जगह पर किसी व्यक्ति को दफनाने जैसा दृश्य देखकर शंके की आधार पर तत्काल पुलिस चौकी में सूचना दी जिसके बाद मल्हार चौकी प्रभारी शंकर गोस्वामी ने पुलिस अधीक्षक को सूचना दी जिला से डॉग स्क्वाड टीम की मदद ली गई जिस युवक की लाश मिली है उसका पहचान दीपक लोहार पिता जगदीश लोहार के रूप में किया गया वह वार्ड क्रमांक 4 का रहने वाला है। संदिग्ध वाले जगह पर राजस्व और पुलिस विभाग के संयुक्त टीम ने पहुंच कर संदिग्ध वाले जगह को खोद कर शव को बाहर निकाल लिया गया है और पंचनामा कर शव को पीएम के लिए भेज दिया गया है जिसकी खुलासा रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि हत्या है या आत्महत्या है ।
मामले को कवरेज करने गए पत्रकारों को कर रहे थे मनाही
वही एक और जहां इस मामले की खबर आसपास के क्षेत्र सहित नगर पंचायत वासियों को हुआ तो क्षेत्र में सनसनी फैल गई, सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गए थे, इन सभी दृश्यों को कवरेज करने गए मस्तूरी क्षेत्र के कुछ पत्रकारों से पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारी न्यूज़ कवरेज करने को लेकर मनाही कर रहे थे, जिसकी वजह से कुछ पत्रकारों को पूर्ण रूप से न्यूज़ कवरेज करने में कठिनाइयां भी हुई है।
धार्मिक नगरी मल्हार अब हो गया है नशाखोरों की नगरी
प्रदेश स्तर से लेकर देश विदेश तक पहचान बनाने वाले देवनगरी मल्हार अब महज सिर्फ पर्यटन विभाग और शासकीय कागजों पर देवनगरी बनकर रह गया है। असल में तो देवनगरी मल्हार को अब लोग-बाग नशाखोरो की गढ़ से जानने व कहने लगे हैं। इसका मुख्य वजह यह है कि नगर पंचायत मल्हार के मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर मुख्य सड़क के किनारे अवैध रूप से चल रहे चखना सेंटरों में देर रात तक कबाब और शराब दोनों परोसा जा रहा है । जिसके वजह से आए दिन नगर पंचायत मल्हार में चोरी डकैती लूटपाट व हत्या जैसी घटनाएं घटती ही रहती है। इस ओर ना तो नगर पंचायत कुछ उचित कदम उठा पा रहा है और ना ही आबकारी और पुलिस विभाग कुछ उचित कदम उठा पा रहे हैं लिहाजा मल्हारगढ़ अब नशाखोरो का गढ़ बन गया है, मुख्य मार्ग पर कई शिक्षा संस्थाएं हैं जहां पर स्कूली बच्चे आवागमन करते हैं लेकिन जगह-जगह पर शराब खोरी करते लोगों से स्कूली बच्चे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी डर डर के जीवन यापन कर रहे हैं। बाहर से आने वाले पर्यटक भी मल्हारगढ़ की इस दूरदर्शता को देखते हुए मल्हारगढ़ की प्रशंसा कम और दुष्प्रचार ज्यादा कर रहे हैं। मल्हारगढ़ अब सच में भगवान भरोसे हो गए हैं