उत्तराखंड में हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से जगह-जगह भूस्खलन और भारी नुकसान के समाचार मिल रहे हैं,
रुद्रप्रयाग में देर रात से मूसलाधार बारिश का सिलसिला जारी है. इस दौरान बद्रीनाथ हाईवे पर जगह-जगह से भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आई हैं. आवागमन में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है लगभग सभी कहीं की नदियां अपने उफान पर है।
. राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर नदी का पानी बहने के कारण एहतियातन NH 58 को पूरी तरह से बंद करना पड़ा. इस बीच ऋषिकेश और देहरादून जाने वाले कई मुसाफिर चमोली में ही फंसे हुए हैं. वहीं, मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक राज्य में अभी बारिश का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है.।
राज्य के कई इलाकों में लगातार बारिश की वजह से स्थिति बेहद खराब है. राज्य के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिससे जानमाल का नुकसान हो रहा है।उ
उत्तर प्रदेश के भी कई इलाकों में हो रही भारी बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। गोरखपुर की बात करें तो यहां के कई गांवों में भी पानी है, जिससे स्थिति काफी खराब हो गई है.।
वहीं, बीती रात भारी बारिश के कारण देहरादून-रानीपोखरी-ऋषिकेश राजमार्ग क्षतिग्रस्त हो गया। जाखन नदी पर बने पुल के कुछ हिस्से टूट गए। उसके बाद पुल का अगला हिस्सा गिरकर बह गया। इसी के साथ वाहन भी नदी की जलधारा में बहते दिखे। बता दें कि, पिछले दिनों ही लोगों और छोटे वाहनों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाया गया था। रात के बारिश के बाद से हालात अब काफी खराब हो गए हैं। न्यूज एजेंसी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि मार्ग पूरी तरह बंद है।
बीते रोज हिमाचल प्रदेश में राजधानी शिमला के ज्योरी इलाके के पास पहाड़ टूटकर ढह गया। जिससे नेशनल हाईवे-5 की राह रुक गई। सड़क पूरी तरह खराब हो गई और वहां पहाड़ी का मलबा जमा हो गया। टूटे पहाड़ की बड़ी-बड़ी शिलाएं तेज आवाज के साथ नीचे गिरीं। पता चलने पर प्रशासन ने स्थिति का जायजा लेने के लिए एसडीएम रामपुर और एक पुलिस-जाब्ते को मौके पर भेजा। सूचना मिलने पर उच्चाधिकारी भी रवाना हो गए। न्यूज एजेंसी ने बताया कि, NH-5 पर हुए भूस्खलन में कोई मानव या संपत्ति के नुकसान की तो सूचना नहीं है। हालांकि, रास्ता रुक गया है।
पहाड़ी राज्य होने की वजह से हिमाचल और उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाएं लगातार हो रही हैं। पिछले महीने कई जिलों में पहाड़ दरके। किन्नौर जिले में रिकांगपियो-शिमला राजमार्ग पर चट्टान टूटकर गिरी थीं, जिससे कई वाहन दब गए। हादसे में 14 लोगों की मौत हुई थी और 13 को घायल अवस्था में रेस्क्यू किया गया था। उसी प्रकार किन्नौर जिले के एक अन्य हादसे में 4 वाहन मलबे में दब गए। बचाव कार्य में सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमों को लगाया गया। आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडेय ने बताया कि, ऊपर से पत्थर गिरने से बचाव कार्य बाधित हुआ था। उन्होंने कहा कि, यह इलाका ऐसा ही है जहां भूस्खलन की संभावना ज्यादा रहती है। जिसके चलते राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो जाते हैं।
पिछले माह चंद्रभागा नदी में पानी का प्रवाह रुक जाने की वजह से आसपास के आबादी वाले इलाकों पर खंतरा मंडरा गया था। जलभराव की वजह से जूंडा, तडंग और जसरथ गांवों में फसल-बर्बादी हुई। लोग पलायन करने को मजबूर हो गए। जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों को नदी के पास नहीं जाने की सलाह दी। एक अधिकारी ने कहा कि, हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों के अंदर भूस्खलन की कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ। नेशनल हाईवे-5 पर अगस्त महीने में निगुलसेरी के पास पहाड़ खिसकर खाई में जा गिरा था।