मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों पर हो रहे अत्याचार और किसानों के मौलिक अधिकारों के हनन करने पर केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए कहा है कि किसानों की बात नहीं सुनने एवं यही हालात रहने पर तो केन्द्र मे बीजेपी सरकार की वापसी मुश्किल लग रही है। मलिक ने रविवार को यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान मीडिया से बातचीत में यह बात कही।उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह किसानों के लिए राज्यपाल का पद भी छोड़ देंगे। वैसे भी वह किसानों के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री जैसे नेताओं से लड़ाई कर चुके है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देनी है।
उसके बाद वह किसानों से बात कर सारा मसला सुलझा लेने के लिए भी तैयार है। किसान संतुष्ट हो जाएगा और उसके बाद यह आंदोलन अपने आप समाप्त हो जाएगा। वर्तमान दौर में देश के किसानों की हालत बेहद खराब है। केंद्र सरकार (Central Government) इस मामले में गलत रास्ते पर चल रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को समझना चाहिए कि किसान दस महीने से अपना घर, परिवार छोड़कर सड़कों पर बैठे हैं। फसल बुवाई का समय है। इतना लंबा समय हो जाने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होने से उनमें गुस्सा है। जब उनसे पूछा गया कि इतने बड़े आंदोलन के बावजूद सरकार कोई कदम क्यों नहीं उठा रही तो उनका कहना था कि केंद्र सरकार के ईद-गिर्द गलत सलाह देने वाले लोग हैं।
लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) मामले में उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री (Central minister) को इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मेरठ एवं उसके आसपास के कई जिलों में तो भाजपा नेताओं (BJP Leaders) को घुसने ही नहीं दिया जा रहा है। जिस गांव में भी भाजपा (BJP) नेता जाते हैं उनको बाहर निकाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जब वह कश्मीर के राज्यपाल थे। तब वहां पर आतंकवाद काफी हद तक कम हुआ था। आतंकवादी कई किलोमीटर तक अंदर नहीं घुस पाते थे