छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बस्तर क्षेत्र में सीआरपीएफ की 50वीं बटालियन के एक शिविर में जवान रितेश रंजन ने अपने साथियों पर एके-47 राइफल से गोली चला दी थी, जिससे चार जवानों की मौत हो गई है जबकि तीन अन्य घायल हो गए। अधिकारियों और जवानों ने आरोपी जवान को किसी तरह काबू में किया।
सीआरपीएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मरने वालों में से दो राजमणि कुमार यादव और धर्मेन्द्र सिंह बिहार के हैं। मिली जानकारी के अनुसार घटना में घायल एक अन्य जवान की हालत गंभीर बनी हुई है।
राजमणि यादव का पैतृक घर बिहिया प्रखण्ड की कटेया पंचायत के समरदह गांव में है। जबकि धर्मेन्द्र सिंह, संझौली थाना क्षेत्र के गरुणा गांव के रहने वाले थे। राममणि यादव का परिवार फिलहाल भोजपुर के ही जगदीशपुर प्रखण्ड के दुल्हिनगंज बाजार में अपना घर बना कर रहता है। उनके पिता भी बिहार पुलिस में दारोगा थे, जिनका दो वर्ष पहले ड्यूटी के दौरान असामयिक निधन हो गया था। बताया जा रहा है कि घटना में घायल होने के बाद धर्मेन्द्र को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिवारवालों को इसकी सूचना मिली तो घर पर कोहराम मच गया। पत्नी सुनीता देवी का रो रोकर बुरा हाल हो गया। धर्मेन्द्र के घर पर परिवारीजनों को ढांढस बंधाने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुटी है। धर्मेन्द्र अपने पीछे पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा छोड़ गए हैं।
बताया जा रहा है कि जवानों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हआ था। अपने ही साथियों पर गोली चलाने वाला जवान देर रात नक्सली क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात था। इसी दौरान उसका अपने साथियों से विवाद हो गया था। बाद में यह विवाद हिंसा में बदल गया। गुस्से में आपे से बाहर हो गए जवान ने अपने साथियों पर गोली चलानी शुरू कर दी। इस घटना में चार जवानों की मौत हो गई। आरोपी जवान से पूछताछ की जा रही है। मारे गए अन्य जवानों के नाम धनजी, राजीब मंडल और धर्मेंद्र कुमार हैं। घायल जवानों में धनंजय कुमार सिंह, धरमात्मा कुमार और मलय रंजन महाराणा शामिल हैं।
गांव में फैला मातम
धर्मेन्द्र सिंह की मौत की खबर गांव में फैलते ही चारों तरफ मातम पसर गया। बड़े भाई राजेन्द्र सिंह, जितेन्द्र सिंह और मुन्ना सिंह का रो-रोकर बुरा हाल है। छठ पर्व के अवसर पर इन दिनों आमतौर पर छठ गीतों की धूम रहती है लेकिन इसकी बजाए इस समय वहां मातम पसरा है। बीच में रुक-रुककर परिवारीजनों की चीत्कार सुनाई पड़ रही है।