अमित खुटें की रिपोर्ट
मीडिया को झूठी जानकारी देकर सुर्खियां बटोर रहा एनटीपीसी, नौसिखिए पीआरओ की वजह से सीपत एनटीपीसी प्रबंधन की हो रही फजीहत
बिलासपुर| एनटीपीसी सीपत द्वारा प्रभावित क्षेत्र में कराए गए कार्यो को लेकर मिडिया को वर्षभर का ब्यौरा देकर अपनी पीठ-थपथपाने का कार्य करने से गुरेज नहीं करती है जबकि एनटीपीसी के कार्यो की पड़ताल करने पर उसका काला सच सामने आया है| एनटीपीसी के काले सच में यह बात खुलकर सामने आई है कि जिस प्लांट की स्थापना से सीपत क्षेत्र के ग्रामीण किसान उत्साहित थे वही अपनी किसमत को कोस रहे है, बड़े-बड़े सब्ज-बाग़ दिखाकर प्लांट की स्थापना करने वाले प्रबंधन द्वारा आज पुरे क्षेत्र के प्रदूषित कर यहाँ के ग्रामीणों-किसानो को मौत के मुह में ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है| किसान अपने खेतो के पानी के लिए तरस रहे है, ग्रामीणों अपनी जमीन देकर आज भी मुआवजा व रोजगार के लिए भटक रहे है और एनटीपीसी अपनी वाह-वाही बटोरने मिडिया को झूठी जानकारी देकर मुस्कुरा रही है| जबकि सच इसके ठीक उलट है|
एनटीपीसी द्वारा हर वर्ष अपनी खुद की पीठ को थपथपाकर अपनी वाहवाही करना बहुत पुरानी आदत सी बन गई हैं, हर साल एनटीपीसी प्रबंधन लाखो की वृक्षारोपण, सीएसआर में प्रभावित ग्राम पंचायतों को हर तरह के सहयोग की ऐसा हर साल केवल ढकोसला ही किया जाता है, बड़ी उम्मीद से भुविस्थापित किसानों ने अपने और अपने आने वाली पीढ़ी के विकास को सोचकर अपने जमीन को एनटीपीसी को सौपा था पर हुआ उल्टा रोजगार तो दूर की बात अब उन किसानों को उन बेरोजगारो हरियाली और रोजगार एक सपना हो गया हैं।यहां तक जरा सा हवा चल तो राखड़ डेम से उड़ने वाले राखड़ आसपास के कम से कम 15 से 20 किमी के ग्रामीण के घरों में राखड़ घुस जाते हैं, राहगीर को तो रास्ता दिखना तो दूर की बात उनका आंख खुलना मुश्किल हो जाता हैं।राक, कौडीया, रलिया, सुखरीपाली में बने राखड़ डेम से क्षेत्र वासियो को खून के आशु रोना पड़ रहा हैं।???इस आयोजन में पीआरओ नेहा खत्री पर तमाम पत्रकारों ने उनके मीडिया मैनेजमेंट को लेकर कई तरह के आरोप लगाए। सिखाड़ी पीआरओ की लड़खड़ाई व्यवस्था देखने को भी मिली,पीआरओ ने जिले के अलावा भरभराकर आयोजन में आने का न्योता न जाने कहा कहा भेज दिया था। इधर टारगेट से ज्यादा भीड़ आ गई और व्यवस्था का हाल बेहाल हो गया आलम तो यह था कि बाहर जाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा था इसे देख पत्रकारों ने नाराजगी जताई और एनटीपीसी के अफसरों को जमकर खरी खोटी सुनाई और कार्य्रकम का बहिष्कार करने कहा तो अफसर सन्न रह गए। पीआरओ को साइड कर उन्होंने माफी मांगी और डीजीएम विवेक चंद्र और उनकी टीम ने व्यवस्था को संभाला
यह है एनटीपीसी का काला-सच
बिना अनुमति पुल-पुलिया का निर्माण, पानी निकासी हो रहा प्रभावित :- एनटीपीसी सीपत द्वारा एरमसाही माइनर में एक बाँध से दुसरे बाँध आने-जाने व पेट्रोलिंग करने के लिए जगह-जगह पुल पुलिया का निर्माण बिना अनुमति कराया गया है, पुल-पुलिया के निर्माण से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है वही नगर के तीन मीटर की जमीन पर एनटीपीसी द्वारा कब्ज़ा किया गया है तथा नहर के मेढ पर सड़क का निर्माण किया गया है जिसमे 20 टन से भी ज्यादा भारी वाहनों की आवाजाही कराई जा रही है जिसके चलते भारी वाहनों के प्रेशर से नहर के पानी का बहाव कर हो रहा है| एरमशाही माइनर के आरम्भ से मुख्य नहर से सुखरीपाली, हरदाडीह, एरमशाही, रलिया, आसौन्दी, कछार तक नहर का पानी जाता है जिसमे एनटीपीसी द्वारा सड़क का निर्माण किया गया है|
किसानो के खेतो तक नहीं पहुच रहा पानी :- एरमशाही माइनर के आमने सामने ऐश डेम बना हुआ है, दोनों ही डेम में भारी वाहनों का आवगमन होता है, नहर के दोनों ही मेढ जिसमे सड़क का निर्माण किया गया है बुरी तरह से ध्वस्त हो चूका है, इस नहर से किसानो को पानी दिया जाता है जबकि एनटीपीसी के भारी वाहनों की वजह से नहर का मेड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है जिससे किसानो के खेतो में पानी नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण किसानो व ग्रामीणों में रोष व्याप्त है वही अंतिम छोर में स्थित टेल गाव में पानी की बूंद को ग्रामीण तरस रहे है, एनटीपीसी की कारस्तानी यही नहीं रुकी सुखरीपाली में मुख्य नहर में एक गेट भी बना दिया गया है जिससे पानी अंतिम गाव तक नहीं पहुच पा रहा है|
राखड बाँध के केमिकल युक्त पानी से बढ़ रहा प्रदुषण :- सुखरीपाली, रलिया, रांख के राखड बाँध से आस-पास के रहवासी गाव वाले भारी प्रदुषण की चपेट में है, बारिश के दौरान बाँध का पानी इनके घरो, पानी के श्रोतो को प्रदूषित कर देता है वही अन्य मौसमो में बाँध का पानी रिसकर क्षेत्र के खेतो व अन्य जल श्रोतो को प्रदूषित कर डेता है जिससे ग्रामीणों किसानो को तरह तरह की बीमारी ने घेर रखा है|
एनटीपीसी प्रभावित गाव के साथ ही 10 से 15 किमी का दायरा प्रभावित :- एनटीपीसी प्रबंधन केवल उन्ही ग्रामो को प्रभावित मानते है जिनकी जमीनों को एनटीपीसी ने अधिग्रहित किया है जबकि एनटीपीसी सीपत के राखड बाँध से प्रभावित ग्रामो के साथ ही इनके आसपास से गाव राखड बाँध के प्रदुषण से प्रभावित है| एनटीपीसी के सीएसआर मद से प्रभावित ग्रामो के अलावा कई अन्य गावो में किसी भी तरह के कार्य नहीं कराए गए है जबकि प्रदुषण का दंश ग्रामीण व किसान सालो से भोग रहे है|
एनटीपीसी प्लांट की वजह से जलवायु प्रभावित-प्रदुषण में इजाफा :- एनटीपीसी की स्थापना के बाद से क्षेत्र में जबरदस्त जलवायु प्रभावित हुआ है, जानकारों की माने तो प्लांट क्षेत्र के लगभग 10 से 15 किमी के दायरे में बारिश का पानी नहीं गिरता है वही जल-श्रोत भी प्रदूषित हो चुके है, वही जब क्षेत्र के बिलासपुर बलौदाबाजार रतनपुर में बारिश होती है वही एनटीपीसी में बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरती जिसका प्रमुख कारण प्रदुषण है वही क्षेत्र का तापमान 35 डिग्री से प्रारंभ होता है जबकि प्लांट की स्थापना पूर्व यहाँ का अधिकतम तापमान 35 डिग्री से नीचे होता था|
एनटीपीसी के सीएसआर मद का उपयोग अन्य जिलो में :- एनटीपीसी सीपत के सीएसआर मद का उपयोग प्लांट प्रभावित गावो में किया जाना चाहिए जबकि सीएसआर मद का उपयोग अन्य स्थानों व दीगर जिलो में किया जा रहा है| सीपत के प्रभावित ग्रामो के बजाय एनटीपीसी के अधिकारियो द्वारा केवल कमीशन के फेर में जांजगीर, मुंगेली जिलो में कार्य कराए जा रहे है|