ब्यूरो रिपोर्ट
महाराष्ट्र में मंत्री परिषद का पहला विस्तार मंगलवार को हो गया है। उस दौरान 18 मंत्रियों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की टीम में शामिल किया गया। खास बात है कि इस विस्तार के तार आगामी बृह्नमुंबई महानगर पालिका चुनाव से भी जोड़कर देखे जा रहे हैं। खबर है कि इसके जरिए शिंदे गुट और भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के गढ़ों में सेंध लगाने की योजना के संकेत दिए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी का ध्यान बीएमसी और सेना के गढ़ औरंगाबाद, ठाणे और कल्याण-डोंबिविली जैसे निकाय चुनावों पर है। इन्हें ध्यान में रखते हुए ही परिषद में मंत्रियों की नियुक्ति की गई है।
आशीष शेलार को क्यों नहीं मिला मौका?
एकनाथ शिंदे कैबिनेट में बांद्रा (पश्चिम) से विधायक आशीष शेलार को शामिल नहीं किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनकी सेवाओं को बीएमसी चुनाव में इस्तेमाल करना रणनीति का हिस्सा है। खास बात है कि 2017 में मुंबई भाजपा के प्रमुख रहे शेलार के नेतृत्व में पार्टी ने बीएमसी के 227 में से 82 वार्डों में जीत दर्ज की। खास बात है कि भाजपा अपने तब साथी रहे शिवसेना से केवल दो सीटें ही पीछे थी। हालांकि, तब शिवसेना को खुश करने के लिए पार्टी ने उन्हें ही कमान संभालने दी। 1985 से ही शिवसेना का बीएमसी पर कब्जा है।
यहां बदले शेलार के सुर
जब शिवसेना ने भाजपा से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी बनाई, तो शेलार ने भी सुर बदल लिए। वह कथित आर्थित अनियमितताओं और बीएमसी के कामों में ढिलाई को लेकर शिवसेना को घेरने के प्रयास करते रहे। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा पदाधिकारियों ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं के साथ मिलकर अगले बीएमसी चुनावों में शिवसेना को हराने का खाका तैयार कर लिया है। साथ ही 134 वार्डों में जीत की कोशिश की जा रही है।
औरंगाबाद नगर निगम पर भी भाजपा का फोकस है। कैबिनेट में शहर के तीन नेताओं अतुल सावे, अब्दुल सत्तार और सांदिपन भुमरे को शामिल किया गया है। वहीं, शिंदे के गढ़ ठाणे में सरकार को बड़ी जीत की उम्मीद में है, क्योंकि मौजूदा पार्षदों में से अधिकांश ने सीएम को समर्थन दिया है। वहीं, कल्याण-डोंबिविली नगर निगम को देखते हुए रविंद्र चव्हाण को जगह दी गई है।
इसके अलावा गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटील और दादा साहब भुसे के जरिए भाजपा उत्तरी महाराष्ट्र में स्थिति मजबूत करने की तैयारी में है, जहां एनसीपी बड़ी सियासी कोशिशें कर रही है।