मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने ट्वीट में इशारा दे दिया है
शादाब ज़फ़र शादाब की रिपोर्ट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने ट्वीट में कहा कि जिस शकुंतला पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत पड़ा। उसी हस्तिनापुर के आसपास का क्षेत्र हमने फिल्म सिटी को प्रस्तावित किया है। मुख्यमंत्री के इशारे को समझे तो नजीबाबाद के आसपास कोटद्वार रोड़ पर कही फिल्मसिटी बनाने की योजना मुख्यमंत्री बना चुके हैं। क्यों कि नजीबाबाद में वो मालिन नदी बहती है जो कालिदास की रचना शकुंतला की गवाह है। वही कोटद्वार नजीबाबाद रोड़ स्थित कण्व ऋषि के आश्रम की निशानियां राजा दुष्यंत, शकुंतला उनके पुत्र सम्राट भरत के इतिहास की गवाही की गवाह नजीबाबाद के समीप सीमा पर हैं। ये एक बहुत बड़ा ऐसा एरिया है जो हरियाली और सुन्दरता के साथ कोटद्वार उत्तराखंड के पहाडो के बहुत करीब है।
मुख्यमंत्री द्वारा यमुना अथॉरिटी की ओर से उसके लिए प्रजेंटेशन भी प्रस्तुत किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्म सिटी की स्थापना शकुंतला पुत्र भारत की स्थली के पास करके इस क्षेत्र के विकास के रास्ते खोल दिए हैं। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यहां कि प्रतिभाओं को फिल्म में आगे आने को अवसर मिलेगा। पहले भी बिजनौर की प्रतिभाएं फिल्मी दुनिया में अपना लोहा मनवाती रही हैं।
मुम्बई फिल्म जगत में बिजनौर का योगदान कम नहीं है। बात अगर बॉलीवुड में जिले बिजनौर की करे तो सबसे पहला नाम कुंवर आदित्यवीर सिंह का माना जाता है। चांदपुर के रहने वाले कुंवर आदित्यवीर सिंह ने मुंबई में थियेटर शो कराकर प्रतिभाओं को मौका दिया। वही बिजनौर निवासी प्रकाश मेहरा की कामयाबी किसी से छिपी नहीं है। अमिताभ बच्चन और प्रकाश मेहरा की जोड़ी कभी फिल्म की कामयाबी की बहुत बड़ी गारंटी मानी जाती थी।
सुशांत सिंह का बचपन बिजनौर में ही बीता है। सुशांत को बिजनौर में सुशांत सिंह बिजनौरी के नाम से जाना जाता है। सावधान इंडिया के जरिये वे देश के घर घर में पहुंच चुके हैं।
मेरे बेहद करीबी मित्र फिल्मो में मधुर गीतो सेआयाम स्थापित करने संदीप नाथ भी बिजनौर के हैं। उन्होंने सांवरिया, रंगरेज सहित कई फिल्मों के गाने लिखे हैं। वही संन्यासी मेरा नाम, तराजू और छोटे सरकार फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखने वाले दानिश जावेद भी बिजनौर के रहने वाले हैं। जो मुम्बई स्क्रिप्ट राइटर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
70 के दशक में बनी फिल्म वक़्त मैं राजकुमार द्वारा बोला गया डायलॉग ने किस कदर धूम मचाई थी सब जानते हैं “चुनाये सेठ जिनके घर शीशे के हों, वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते…, ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं, हाथ में लग जाए तो खून निकल आता है।
फिल्म ‘वक्त’ ही नहीं, बल्कि अपने दौर की रोटी, सोना चांदी, अपराध, हमराज, गुमराह, आदमी, दाग जैसी तमाम मशहूर फिल्मों में डायलॉग लिखने और फिल्म लहू पुकारेगा का निर्देशन करने वाले मरहूम अख़्तर-उल-ईमान बिजनौर जिले के छोटे से गांव राहूखेड़ी (नजीबाबाद) में 12 नवंबर 1915 को सामान्य परिवार में जन्मे थे।
भारतीय हिंदी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, पटकथा लेखक व निर्देशक हैं। उन्हे गॉडमदर और इश्किया के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित विशाल भारद्वाज का जन्म 04 अगस्त 1965 में बिजनौर जिले के शिकारपुर गांव में हुआ था। उनका बचपन मेरठ में गुजरा। उनके पिता राम भारद्वाज शुगरकेन इंस्पेक्टर थे जो काफी दिनों तक नजीबाबाद रहे। वो शौकिया तौर पर हिंदी फिल्मों के लिए गाने लिखते थे। पिता यह चाहने पर उन्होंने संगीत सीखा। दिल्ली आने पर एक दोस्त की वजह से उनकी संगीत में दिलचस्पी हुई। शुरुआती दौर मे उन्होंने पेन म्यूजिक रिकॉर्डिंग कंपनी में भी काम किया। तभी दिल्ली में उनकी मुलाकात गुलजार साहब से हुई। गुलजार के साथ उन्होंने ‘चड्डी पहन के फूल खिला है’ गीत की रिकॉर्डिंग की। उसके बाद से उन्हें माचिस के लिए संगीत बनाने का मौका मिला। विशाल भारद्वाज किया जा चुका है।
इन के अलावा मुम्बई फिल्म नगरी मैं हजारों बिजनौर के कलाकार मौजूद हैं। देखते हैं क्या होता है।