सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ-राजधानी में दबंगों की दबंगई देखने को फिर से मिल रही है। पर इसमें खास बात ये और कि प्रशासन भी चुप्पी साधे मौन बैठा है।ऐसा ही एक मामला सामने आया है। राजधानी के बंथरा थाने के अंतर्गत ग्राम पंचायत खटोला के पीड़ित भीखा लाल लोध ने बताया कि पुत्री निशा की शादी अप्रैल के माह में हिंदू रीति रिवाज के अनुसार थाना सोहरामऊ क्षेत्र के अंतर्गत बाबा खेड़ा के रहने वाले अनूप पुत्र मोहनलाल के साथ संपन्न हुई लेकिन मेरा दामाद अनूप अपनी छोटी बहन एवं अपनी पत्नी निशा राजपूत को लेकर अपने मामा रामगढ़ी रामचंद्र के यहां पर फेरे के लिए लेकर आया था ।लेकिन मेरे ही गांव के रामनरेश पुत्र गनेशी के द्वारा षड्यंत्र के तहत ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान मिहिलाल पुत्र हंसराज को सूचना देकर मेरी पुत्री निशा को रात लगभग 8:00 बजे पूरा जेवर के सहित मेरी पुत्री निशा को भगा कर ले गया जिसके उपरांत मेरी पुत्री के पास लगभग 3:30 लाख का जेवर अपने ससुराल से लेकर भागी है ।जिसकी शिकायत अनूप के द्वारा थाना बंथरा को लिखित तहरीर नाम दर्ज की गई थी लेकिन पुलिस ने अनदेखा करके नाम दर्ज एफआईआर को अज्ञात में प्रार्थना पत्र लेकर एनसीआर दर्ज की है ।लेकिन हंसराज रावत और मेरी पुत्री निशा राजपूत 11 दिन से फरार हैं। और पुलिस थाना बंथरा पीड़ित को गुमराह कर रहा है। लेकिन विश्वस्त सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ की पूर्व प्रधान कैथी अपने बेटे हंसराज की कोर्ट मैरिज कराने की फिराक में लगा हुआ है। फोन पर बातचीत होने के बावजूद थाना बंथरा पुलिस को अवगत भी कराया गया लेकिन पुलिस ने के द्वारा अभी तक दबंगों के परिवार को पकड़ा नहीं गया यदि पुलिस परिवार को पकड़ने का प्रयास करती तो मेरी पुत्री तथा जेवर पीड़ित जेवरात परिवार को मिल जाते क्योंकि ससुराल के जेवर और मां बाप का की बदनामी समाज में हो रही है ।पीड़ित भीखा लोधी का कहना है कि पूर्व प्रधान कैथी एवं थाना बंथरा पुलिस की मिलीभगत से मेरी पुत्री निशा एवं हंसराज रावत की कोर्ट मैरिज कराने में पुलिस की अहम भूमिका है
जब पीड़ित ने पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान बताया तो पत्रकारों ने डीसीपी से फोन पर वार्ता की जिसमें डीसीपी के द्वारा आश्वासन दिया गया और तत्काल थाना बंथरा को अवगत कराया थाना बंथरा एसएचओ जितेंद्र प्रसाद सिंह के द्वारा फोन पत्रकारों को जब आता है तो पत्रकारों को कानून की परिभाषा सिखाने के अलावा अज्ञानता बताते हुए कहां कि यह मामला प्रेम प्रसंग मैं अपनी कार्रवाई कर रहा हूं।इस प्रकार जब पत्रकारों के साथ पुलिस अज्ञानता एवं कानून समझाने लगे तो पीड़ितों का सुनने वाला कौन है।अब देखना यह है कि पीड़ित भीखा राजपूत को न्याय मिलता है या फिर भागे हुए हंसराज रावत एवं पुत्री निशा की कोर्ट मैरिज कराने तक पुलिस इंतजार करती है।या फिर अपराधियों को पकड़ कर थाने लेकर आती है।या प्रशासन में बैठे अधिकारी कहीं एक और तो अनहोनी का इंतजार तो नही कर रहे।
मुख्यमंत्री के आदेशों की पुलिस उड़ा रही धज्जियां
इस प्रकरण से एक बात तो साफ है कि पुलिस प्रशासन ना तो अधिकारियों की सुन रहा है ना मुख्यमंत्री आखिर पुलिस को इतना अधिकार किसने दिया है। कि मामले को संज्ञान में ना लेकर रफा दफा करने में लग जाओ। कहीं ना कहीं ऐसी घटना मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां व सरकार की बदनामी करा रही अब देखना होगा मुख्यमंत्री योगी अधिकारियों पर कब कडी कार्यवाही करते है।