सरूरपुर थाना क्षेत्र के ग्राम ईकड़ी निवासी किसान नरेश शर्मा (45) चार दिन पहले मेरठ मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती हुए थे। तहेरे भाई एडवोकेट नरेंद्र शर्मा के अनुसार, उनके भतीजे कोविड वार्ड के बाहर मौजूद रहकर देखरेख कर रहे थे। रविवार शाम छह बजे एक वार्डबॉय ने नरेश शर्मा को मृत बताते हुए फोटो खींचकर परिजनों को व्हाट्सएप पर भेजी।
वेस्ट यूपी के प्रमुख एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज मेरठ में संतोष कुमार की मौत को 15 दिन तक छिपाने जैसा एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हो गई और डॉक्टर चार घंटे तक उन्हें जिंदा बताते रहे। परिजनों ने जब लाश की फोटो डॉक्टरों को दिखाई तो होश उड़ गए। तब जाकर उन्होंने मरीज को मृत घोषित किया।
इस पूरे मामले में एडवोकेट नरेंद्र शर्मा ने मेडिकल प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार व कोविड वार्ड प्रभारी डॉ. सुधीर राठी से फोन पर आपत्ति दर्ज कराई। डॉ. राठी ने एडवोकेट से कहा कि कोविड कंट्रोल रूम की रिपोर्ट तीन से चार घंटे पुरानी होती है। क्योंकि कोई व्यक्ति अपने मरीज का हाल जानने के लिए कंट्रोल रूम को फोन करता है तो उसकी जानकारी जुटाने में कुछ वक्त लग जाता है। नरेंद्र शर्मा ने कहा कि यह अपडेट जानकारी अधिकतम 30 मिनट में मिल जानी चाहिए।
परिवार ने जब मेडिकल प्राचार्य से शिकायत की तो प्राचार्य ने अपनी व्यथा बताई। प्रिंसिपल के अनुसार, वह यहां झांसी से आए हैं। कुछ डॉक्टर व स्टाफ नर्स इतने स्वार्थी हैं कि अपने वार्ड में नहीं जाते। अब उनके परिजन भर्ती हैं तो वार्ड में खड़े रहते हैं। प्राचार्य ने कहा कि वह लगातार राउंड पर रहते हैं। व्यवस्थाओं में सुधार कर रहे हैं।