दरअसल, अयोध्या के रुदौली विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले राजनपुर गांव में हाल ही में पंचायत के चुनाव हुए हैं, इनमें हाफिज को सरपंच चुना गया है। 6 उम्मीदवारों के बीच वे इकलौते मुसलमान थे और गांव हिंदू बहुल। लेकिन लोगों ने मजहब की दीवार गिराकर उन्हें सरपंच चुन लिया। गांव में करीब 600 मतदाता हैं, जिनमें सिर्फ 27 मुस्लिम हैं। ये सभी लोग हाफिज के परिवार या रिश्तेदारी के ही लोग हैं। कुल डाले गए वोटों में से हाफिज को 200 वोट मिले और वे प्रधान चुन लिए गए। जीत के बाद हाफिज कहते हैं कि गांव की प्रधानी जीतना ईद के तोहफे जैसा है। वो कहते हैं कि हिंदूओं के समर्थन ने ही उन्हें प्रधान बनाया है और अब लोगों की उम्मीद को पूरा करना उनका फर्ज है। पेशे से किसान हाफिज ने मदरसे से आलिम और हाफिज की डिग्री ली है। वे 10 साल एक मदरसे में शिक्षक भी रहे हैं।
अयोध्या का नाम सुनते ही आपके जेहन में सबसे पहले क्या आता है… शायद भगवान राम… राम मंदिर…बाबरी ढांचा या फिर दिवाली की जगमग… यहां मजहब से पहचान बनाते या ढूंढते लोग भी मिल जाएंगे…लेकिन इन्हीं लोगों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अयोध्या की गंगा-जमुनी तहजीब का वजूद बनाए हुए हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिंदू बहुल राजनपुर पंचायत के लोगों ने। उन्होंने अपना प्रधान उस मुसलमान को चुना है…जो मदरसे का शिक्षक रहा है…वो गांव का इकलौता मुस्लिम परिवार भी है…उनका नाम है हाफिज अजीमुद्दीन।
हाफिज की जीत के लिए गांव वालों ने सुंदरकांड का पाठ करवाया था। मंदिरों में भजन- कीर्तन और जाप करवाए थे। हाफिज कहते हैं कि यह उन सबकी जीत है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि कुछ लोगों ने हिंदू-मुस्लिम करने की कोशिश भी की। दाढ़ी टोपी पर सवाल भी उठाए।