उमाकांत गौतम की रिपोर्ट
लखनऊ-भारत में आज ईद और अक्षय तृतीय के त्यौहार का जश्न मनाया जा रहा है दोनों त्योहारों की अपनी-अपनी परंपराएं हैं इन त्योहारों को लोग सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। आप भी इन त्योहारों का महत्व जाने।
ईद के त्यौहार की खास बातें
मुस्लिम भाइयों का सबसे बड़ा मनाया जाना जाने वाला त्यौहार ईद है जो इस्लामी कैलेंडर के नवें महीने के 30 दिन समाप्त होने के बाद 10वां माह शव्वाल के शुरू होती ही इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है। जो चांद को देखकर मनाई जाती है। कुरआन के अनुसार पैगंबरे इस्लाम ने कहा है कि जब अहले ईमान रमजान के पवित्र महीने के एहतेरामों से फारिग हो जाते हैं और रोजों-नमाजों तथा उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं तो अल्लाह एक दिन अपने उक्त इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है। इसलिए इस दिन को ‘ईद’ कहते हैं और इसी बख्शीश व इनाम के दिन को ईद-उल-फितर का नाम देते हैं। मुस्लिम भाई इस दिन अपने सिकवे गीले मिटाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं और लोगो को सेवई देकर ईद की बधाई देते हैं। भारत में ईद का यह त्योहार गंगा-जमुना की तहेजीब से मिलकर इस और जवां बनाता है।
अक्षय तृतीया का महत्व
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाए जाने वाले इस त्योहार को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे लोग गृह प्रवेश, पिंड दान, स्नान दान और नए कपड़े तथा आभूषण खरीदते है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु जी परशुराम के छठे अवतार की रूप में प्रकट हुए थे। धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शुमार किया जाता है। दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है।
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त:–
14 मई अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त- 05:38 AM से 12:18 PM
अवधि- 06 घण्टे 40 मिनट