उमाकांत गौतम की रिपोर्ट
भारत में बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। जो बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। 563 ईसा पूर्व ही बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था।
*बुद्ध पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त*-
प्रारंभ मुहूर्त- 25 मई 2021 रात 8 बजकर 29 मिनट से
संपत्ति मुहूर्त- 26 मई 2021 शाम 4 बजकर 43 मिनट तक
बुद्ध मठ पर झंडा फहराना– बौद्ध धर्म को मानने वाले इस दिन सूर्योदय के बाद मठों और धार्मिक स्थलों पर झंडा फहराते हैं। बताया जाता है कि बुद्ध धर्म के झंडे का आविष्कार श्रीलंका ने किया था जो कि 5 रंगों का बना है जिसमें नीला, लाल, सफेद, पीला और नारंगी रंग होता है पांचों रंग की अपनी एक परिभाषा है जैसे नीला रंग प्रेम और सम्मान दर्शाता है लाल रंग आशीर्वाद का प्रतीक माना है सफेद रंग धर्म की शुद्धता को दर्शाता है नारंगी रंग बुद्धिमत्ता का प्रतीक है तथा पीले रंग को कठिन स्थितियों में बचाने का प्रतीक माना जाता है।
बुद्ध धर्म का इतिहास– बौद्ध धर्म जीवन की पवित्रता बनाए रखना और तथ्य-ज्ञान में पूर्णता प्राप्त करना है, साथ ही निर्वाण प्राप्त करना और तृष्णा का त्याग करना है। इसके अलावा भगवान बुद्ध ने सभी संस्कार को अनित्य बताया है। भगवान बुद्ध ने मानव के कर्म को नैतिक संस्थान का आधार बताया है। यानी भगवान बुद्ध के अनुसार धम्म यानी धर्म वही है। जो सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे। और उन्होने ये भी बताया कि केवल विद्वान होना ही पर्याप्त नहीं है। विद्वान वही है जो अपने की ज्ञान की रोशनी से सबको रोशन करे। धर्म को लोगों की जिंदगी से जोड़ते हुए भगवान बुद्ध ने बताया कि करूणा शील और मैत्री अनिवार्य है। इसके अलावा सामाजिक भेद भाव मिटाने के लिए भी भगवान बुद्ध ने प्रयास करते हुए बताया था कि लोगों का मूल्यांकन जन्म के आधार पर नहीं कर्म के आधार पर होना चाहिए। भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर दुनिया भर के करोड़ों लोग चलते है। जिससे वो सही राह पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं। तथागत गौतम बुद्ध अपने आपको संसार का रचियता अथवा जगतकर्ता या ईश्वर नहीं बताया है। पालि वह वाणी जो कि भगवान गौतम बुद्ध के मुख से पायी गयी तो उस वाणी को ही पालि कहा गया । पालि में “भगवान शब्द का अर्थ है भग्ग(नष्ट) करने वाला। जिसका पालि सुत्त “सुत्त पिटक” एवं “आचरिय बुद्ध घोस”के ग्रन्थ विसुद्धिमग्ग में है – “भग्ग रागो भग्ग दोसो भग्ग मोहो भग्गास च पाप का धम्मा इतपि सो भगवां अरहं सम्माबुद्धो।।” अर्थात (वे) जिन्होने सभी प्रकार के राग, द्वेष और मोह का नाश कर दिया है एवं सभी प्रकार के पाप धर्मों का नाश कर दिया है, इस कारण से वे जो अरहतसम्यक सम्बुद्ध हैं भगवान कहे जाते हैं। अतः पालि में भगवान का अर्थ गुणवाचक उसके शब्द “भग्ग एवं भञ्ज धातु के कारण कहा जाता है। जिसका सम्बन्ध जगतकर्ता/ईश्वर से कुछ भी नहीं है