संगीता की रिपोर्ट
कहावतहै, झूठ के पैर नहीं होते हैं। पर कई बार जब तक सच सामने आता है, काफी देर हो चुकी होती है। झारखंड सहित देशभर के गांवों में वैक्सीन को लेकर फैले भ्रम से इसे बखूबी समझा जा सकता है। ताजा विवाद अब राज्य सरकार के उस ऐलान को लेकर पैदा हुआ है, जिसमें पीड़ित परिवारों को मुफ्त कफन देने की बात कही गई है। विवाद की जड़ में इंटरनेट मीडिया पर प्रस्तुत वह अधूरा सच है जिसे बार-बार दोहराया जा रहा है। ऐसे ज्यादातर विवाद सूचनाओं को गलत मंशा से प्रस्तुत करने पर उत्पन्न होते हैं और बाद में पूरा सच सामने लाने के लिए सरकारों को बड़ी कवायद करनी पड़ती है।
खैर, केंद्र सरकार ने ऐसे तमाम मंचों के लिए नए नियम-कानून बना दिए हैं। आने वाले कुछ दिनों तक इस पर भी खूब हो हल्ला होने वाला है, लेकिन यह जरूरी है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जो झूठ और भ्रम फैलाया जा रहा है इससे समाज में वैमनस्यता बढ़ रही है। ऐसी अभिव्यक्तियों को तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि इससे राज्यों के सामने कानून-व्यवस्था सहित कई मोर्चों पर नई मुसीबतें खड़ी होती दिख रही हैं। झारखंड सरकार की मुफ्त कफन देने की घोषणा के बाद इंटरनेट मीडिया पर शुरू हुआ विवाद काफी चर्चा में है। इस घोषणा का वायरल वीडियो इस बात की बानगी है कि कैसे किसी वक्तव्य को तिल का ताड़ बनाया जा सकता है।