कमलेश चौधरी की रिपोर्ट
राजधानी लखनऊ बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर मैं कई लड़कों से नौकरी के नाम पर अपने सहयोगियों के साथ केजीएमयू मेडिकल कॉलेज गेस्ट हाउस मैं साडे ₹700000 लाख ठगी किए गए
जिसकी शिकायत पीड़ित के द्वारा केजीएमयू मेडिकल कॉलेज के कुलपति महोदय को लिखित रूप से दी गई लेकिन संजय खत्री केजीएमयू प्रभारी माननीय कुलपति मेडिकल कॉलेज का खास व्यक्ति होने की वजह से कोई कार्यवाही नहीं की
जिसकी शिकायत पीड़ित ने चौक कोतवाली मुकदमा दर्ज कराया जिसकी अपराध संख्या 0083 दिनांक 22/08/2016 से आज तक चौक कोतवाली पुलिस की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई
जिसकी शिकायत पुलिस के क्षेत्राधिकारी श्रीवास्तव जी से पीड़ित के द्वारा कई बार आग्रह किया गया तथा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर पीड़ित ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोतवाली चौक लखनऊ पुलिस संजय खत्री से सांठगांठ करके मामले को लगातार दबाया गया
जिसकी चौकी प्रभारी केजीएमयू रमापति सिंह के द्वारा पीड़ित केके चौधरी के बार-बार आग्रह करने के बावजूद भी जांच के नाम पर ₹50000 की मांग कर रहे थे लेकिन पीड़ित रुपए देने में असमर्थ होने की वजह से आज तक पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को रमापति रमापति सिंह चौकी प्रभारी गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं तथा संजय खत्री के द्वारा रमापति सिंह ने डॉक्टर संजय खत्री से सांठगांठ करते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया
उसके बाद पीड़ित के द्वारा कई समाचार पत्रों में अपनी इयर्स लेकर गया जिसके उपरांत दैनिक जागरण एवं राष्ट्रीय सहारा स्वतंत्र भारत जैसे कई समाचार पत्रों में लिखा पाया गया लेकिन केजीएमयू का संजय खत्री एवं उसके सहयोगी यों के द्वारा हजारों बच्चों को नौकरी के नाम पर लाखों रुपए की ठगी हुई लेकिन केजीएमयू का संजय खत्री अपने पावर एवं रसूल का तथा पुलिस से सांठगांठ करके मामले को दबाने का प्रयास करता है और पुलिस उसके खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई
संजय खत्री इस समय विश्वस्त सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ है की गोरखपुर में स्थानांतरण कर दिया गया और अपनी एस की जिंदगी जी रहा है लेकिन पुलिस के द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई
यह गोरख धंधा केजीएमयू गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 101 में बैठकर संजय खत्री के सहयोगी अनुपम चंद्रा एवं गेस्ट हाउस रिसेप्शनिस्ट पांडे जी के द्वारा गेस्ट हाउस का कमरा खोल दिया जाता था और बाहर से आने वाले लड़कों को नौकरी के नाम पर पैसे का लेन देन संजय खत्री के सहयोगी अनुपम चंद्रा के द्वारा किया जाता था और संजय खत्री उस पैसे से आपस में मिल बांट कर लेते थे
जबकि संजय खत्री के अनुसार कहा गया की अनुपम चंद्रा को मैं नहीं जानता तो फिर अनुपम चंद्रा के नाम से केजीएमयू का गेस्ट हाउस किसके आधार पर खोला जाता था अहम सवाल है किसकी इजाजत से अनुपम चंद्र केजीएमयू गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 101 एवं 102 खोले जाते थे और लगातार 1 महीने केजीएमयू गेस्ट हाउस में किसके कहने पर रुका इसका जवाब अभी तक केजीएमयू के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर गेस्ट हाउस का रिसेप्शनिस्ट पांडे जी ने स्पष्ट नहीं किया तथा और पुलिस भी स्पष्टीकरण नहीं दे पा रही है आखिर केजीएमयू प्रशासन की देखरेख में यह गोरखधंधा संपन्न किया गया
केजीएमयू मेडिकल कॉलेज इस मामले में कई बार चर्चा का विषय बना रहा लेकिन कोई पुलिस प्रशासन इन गंभीर हालातों को देखते हुए भी अनदेखी करता रहता है और पीड़ितों को लगातार षड्यंत्र करने वाले अधिकारी बच कर निकल जाते हैं
उत्तर प्रदेश के माननीय योगी सरकार के दिशा निर्देशन के बावजूद भी 4 साल में अभी तक पीड़ित को न्याय दिलाने एवं f.i.r. की कार्यवाही नहीं हुई पीड़ित परिवारों की शिकायतें ऑफिसों में धूल फांक रही हैं
अब देखना है कि उत्तर प्रदेश सरकार जो वादे कर रही है कि माफियाओं को भ्रष्टाचारियों को किसी कीमत में बख्शा नहीं जाएगा तो आइए देखते हैं कि संजय खत्री केजीएमयू प्रभारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस क्या कार्यवाही करती है