उमेश कुमार विश्वकर्मा की रिपोर्ट
संयुक्त वन प्रबंधन समिति रगौली वन क्षेत्र रेंज उरई के तत्वाधान में फॉरेस्ट प्रोटेक्शन वॉच एंड वार्ड विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जिसकी अध्यक्षता शासकीय अधिवक्ता हिरदेश पांडेय ने की और कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता राम मोहन चतुर्वेदी ने किया।
इस अवसर पर बोलते हुए टंडवा वन क्षेत्र रेंज जालौन के वन दरोगा मनीष जाट ने कहा कि वनों की सुरक्षा करना हम सभी का दायित्व है। यदि वन में आग लग जाती है और समुदाय से बुझाने के लिए आवाहन किया जाता है और कोई भी व्यक्ति यदि जाने से मना करता है तो उस पर ₹3000 का अर्थदंड लिया जा सकता है। कार्यक्रम में पधारे पूर्व बार संघ सचिव आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा की वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 (2) 16 के अंतर्गत किसी भी वन्यप्राणी को मारना या उसे विष देना और ऐसा करने का प्रयत्न करना, कुत्तों द्वारा आखेट करना, फंदे में पकड़ना, जाल में फंसाना गैर कानूनी है। पूर्व बार संघ सचिव बृज बिहारी गुप्ता ने कहा कि किसी भी बंदी पशु को आघात पहुंचाना, नष्ट करना, उसके शरीर के किसी भाग को ले जाना या उसके अंडो या बच्चों को नुकसान पहुंचाना गैर कानूनी है। साथ ही संरक्षित वन क्षेत्र में आग लगाना भी गैरकानूनी है। कार्यक्रम में उपस्थित उरई वन रेंज ऑफिसर रामचंद्र सिंह ने कहा कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 (2) 31 के अंतर्गत किसी भी वन्य पशु चाहे वह बंदी हो अथवा प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से रखा गया हो, उस के किसी भी अंग का व्यापार करना गैरकानूनी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शासकीय अधिवक्ता हिरदेश पांडेय ने कहा कि कानून बनना एक अलग विषय है और उसका अनुपालन करना एक अलग विषय है। सभी का यह उत्तरदायित्व है कि हम सभी कानून का पालन करें। लगे हुए पेड़ों का संरक्षण करें, वन्यजीवों का संरक्षण करें। कार्यक्रम का संचालन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता राम मोहन चतुर्वेदी ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की कई धाराओं में जमानत नहीं होती है। अतः सभी को वन्यजीवों के शिकार से और वनों के अपराध से बचना चाहिए। इस अवसर पर वन दरोगा भागीरथ कुशवाहा, मोहन प्रजापति सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।