रवि तिवारी की रिपोर्ट
कन्नौज – गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से आह्वान किया था कि वे अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल करें। मोटे अनाज में मक्का, रागी, ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सामा आदि आते हैं। इन अनाजों में पोषक तत्वों की भरमार होती है। मोटे अनाज बढ़ती उम्र वाले बच्चों, ज्यादा शारीरिक मेहनत करने वाले कामगारों तथा बूढ़े लोगों के लिए जरूरी है।
मोटे अनाज को पैदा करने के लिए कम मेहनत और कम पानी की जरूरत होती है। इसलिए सरकार इन्हें बढ़ावा दे रही है। इसीलिए सरकार ने वर्ष 2018 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया है। पोषण युक्त मोटे अनाज निम्न प्रकार है।
रागी
रागी मुख्यतः भारतीय मूल का अनाज है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अन्य अनाजों की अपेक्षा ज्यादा होती है। कैल्शियम हमारी हड्डियों को मजबूत रखने तथा मांसपेशियों को ताकतवर बनाने में मदद करता है। रागी में लौह तत्व भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो रक्त का मुख्य घटक है। रागी के आटे से रोटी, चिल्ला, इडली आदि बनाया जा सकता हैं। रागी की खीर भी बनती है। छोटे बच्चों को (विशेषकर दो वर्ष से छोटे) पारंपरिक तौर पर रागी की लप्सी बनाकर खिलाई जाती है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह ज्यादा लाभदायक होता है।
बाजरा
बाजरा उत्तर भारत में, विशेषकर ठंड में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन, लौह तत्व, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट आदि अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें कुछ मात्रा में कैरोटीन (विटामिन ए) भी पाया जाता है। बाजरे में कुछ अल्प मात्रा में पाइटिक एसिड, पोलीफिनोल, जैसे कुछ पोषण विरोधी तत्व भी होते हैं। बाजरे को पानी में भिगोकर, अंकुरित करके, माल्टिंग की विधि द्वारा इन पोषण विरोधी तत्वों को कम कर के प्रयोग किया जाना चाहिए।
ज्वार
ज्वार मुख्यतः बच्चों के भोजन में इस्तेमाल किया जाने वाला अनाज है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लौह तत्व मुख्य रूप से पाए जाते हैं। यह अनाज पाचन में हल्का होता है। पोषक तत्वों से भरपूर इस अनाज को भोजन में रोटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
कोदो
इसे प्राचीन अन्न भी कहा जाता है। कोदो में कुछ मात्रा में वसा तथा प्रोटीन भी होता है। इसका ‘ग्लाइसेमिक इंडेक्स’ कम होने के कारण मधुमेह के रोगियों को चावल के स्थान पर उपयोग करने के लिए कहा जाता है। इसकी फसल मुख्यतः छत्तीसगढ़ में होती है। वहां के वनवासियों का यह मुख्य भोजन है।
जौ
जौ में अन्य अनाजों की अपेक्षा सबसे ज्यादा मात्रा में अल्कोहल पाया जाता है। इस कारण यह एक डाईयूरेटिक है। इसलिए उच्च रक्तचाप वालों के लिए यह लाभदायक होता है। जौ बढ़े हुए कोलेस्टराॅल को कम करने में भी सहायक होता है। इसमें रेशे, एंटी ऑक्सीडेंट, मैग्नीशियम, अच्छी मात्रा में होता है। इस कारण कब्ज और मोटापे से परेशानी लोगों को जौ का इस्तेमाल करना चाहिए। इसका सेवन दलिया, रोटी और खिचड़ी के रूप में किया जाता है।
मक्का
मक्के की गिनती मोटे अनाजों में होती है। भारत में इसका सेवन अधिकांशतः भुट्टे के रूप में किया जाता है। मक्का में अधिक मात्रा में कैलोरी होती है जो स्वस्थ रहने और दैनिक चयापचय के लिए जरूरी होती है। इसके अलावा मक्का को विटामिन ए, बी, ई और कई खनिजों का संपन्न स्रोत भी माना जाता है। इसमें प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्र भी मौजूद होने के साथ ही फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो बवासीर, कब्ज और कोलेस्ट्रोल कैंसर जैसे पाचन रोगों को रोकने और खत्म करने का काम करता है। वहीं इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-कैंसरजन्य एजेंट के रूप कार्य कर, अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) जैसी दिमागी बीमारी को ठीक करने में भी मदद करते हैं।