पवन कुमार की रिपोर्ट
अयोध्या के लक्ष्मण किला में परिसर में बॉलीवुड के सितारों से सज्जित रामलीला में गुरु वशिष्ट के साथ राम (राहुल बुच्चर) एवं लक्ष्मण (लवकेश धालीवाल) के साथ जनकपुर की यात्रा का मंचन
अयोध्या श्री राम के अद्भुत आलो अलौकिक चरित्र का मर्म परिभाषित करने वाले अहिल्या उद्धार और सीता स्वयंवर का मनोहारी मंचन दर्शकों को विभोर करने वाला रहा पुण्य पुण्य सलिला सरयू के तट पर स्थित रसिक उपासना परंपरा की स्पीड स्पीड लक्ष्मण किला के परिसर में सोमवार को सितारों से सज्जित नव दिवसीय रामलीला की तीसरी प्रस्तुति का मौका था परंपरा के अनुरूप शुरुआत गणेश वंदना से हुई। पूर्व की दो प्रस्तुति की तरह गणेश वंदना कलाकारों की लयात्मकता और समुचित तैयारी की परिचायक बनी। तो प्रसंग विस्तार के साथ अगले दृश्य में ऋषि विश्वामित्र का आश्रम प्रस्तुत होता है। जहां श्रीराम भ्राता लक्ष्मण के साथ अमोघ अस्त्र शस्त्र का अभ्यास करते नजर आते हैं श्री राम की भूमिका में बॉलीवुड की संभावना सील कलाकार राहुल बुच्चर राम-लक्ष्मण की भूमिका में लवकेश धालीवाल पूरा न्याय करते नजर आते हैं इसी बीच जनकपुर से दूत आता है और विश्वामित्र को सीता स्वयंवर का निमंत्रण देता है कुछ पल विचार के बाद ऋषि श्री राम एवं लक्ष्मण के साथ जनकपुर की ओर प्रस्थान करते हैं। मार्ग में शीला बनी अहिल्या का उद्धार कर श्रीराम अपनी चमत्कारिक सामर्थ के साथ उदात्त और मानवीय चरित्र प्रस्तुत करते हैं। अहिल्या का दैन्य और शराप मुक्ति का चित्रण दर्शकों की आंखें नम कर जाता है। स्वयं में संयत और धीर गंभीर राम अहिल्या का उद्धार करने के बाद ऋषि विश्वामित्र और अनुज लक्ष्मण के साथ जनकपुर की ओर बढ़ते हैं। जनकपुर पहुंचकर विश्वामित्र श्री राम एवं लक्ष्मण के साथ राजश्री जनक से मिलते हैं जनक विश्वामित्र का स्वागत करने के साथ-साथ आए दोनों राजकुमारों से प्रभावित होते हैं विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण का परिचय देते हैं इस बीच ऋषि के आदेश से जनकपुर का अवलोकन करने निकलते हैं। श्री राम और लक्ष्मण की छवि से जनकपुर वासी हर्षित होते हैं इसके बाद दोनों भाई गुरु पूजन के लिए पुष्प लेने जनकपुर की पुष्प वाटिका में चले जाते हैं इसी बीच मंच पर सीता प्रस्तुत होती हैं सीता की भूमिका में मैंने प्यार किया जैसी सुपरहिट फिल्म से पहचान बनाने वाली अभिनेत्री भाग्यश्री मां सीता को जीवंत कर रही होती है इसी बीच से ताकि एक सखी की दृष्टि श्रीराम पर पड़ती है और वह उन्हें देकर ठगी सी रह जाती है श्री राम और सीता को भी एक दूसरे का भान होता है अगले दृश्य में उद्घोषक नगर वासियों को सीता स्वयंवर की सूचना दे रहा होता है। सभागार में भाति भाति के राजा राजकुमार पहुंचते हैं और बंदे जन उन्हें आदर पूर्वक का संग्रह कर आते हैं सभागार में राम लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का प्रवेश होता है। जनकपुरी विनम्रता से अपने आसन से खड़े होकर ऋषि एवं राम लक्ष्मण का स्वागत करते हैं स्वयंबर की प्रक्रिया के बीच सीता का सखियों सहित आगमन होता है। इस बीच अनेकानेक राजा स्वयं को आजमाने के लिए आगे बढ़ते हैं। पर वे धनुष को हिला भी नहीं पाते सारे राजा एक साथ धनुष उठाने का प्रयास करते हैं पर वह असफल होते हैं। और जनक को दुख होता है अंत में विश्वामित्र राम को धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा कर जनक का शौक दूर करने की आज्ञा देते हैं। और पूरी सहायता से धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं इसी के साथ धनुष टूट जाता है। और राम जी का सीता जी से नाता जुड़ जाता है