ज्ञानवापी के तैखाने में प्रतीक चिन्हों को लेकर किया गया ये दावा

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) अदालत के आदेश पर पिछले 4 अगस्त से वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में “वैज्ञानिक जांच” भी कर रहा है, ताकि “यह पता लगाया जा सके कि क्या वर्तमान ढांचे का निर्माण पहले से मौजूद एक हिंदू मंदिर के ढांचे पर किया भी गया है।” गुरुवार को सातवें दिन भी यह सर्वेक्षण किया जा रहा है और अब तक की जांच और सर्वेक्षण से हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष संतुष्ट की हैं।
मुस्लिम पक्ष बोला- मुगल काल में भी होते थे ऐसे चिन्ह
इस बीच तहखाने में कई हिन्दू प्रतीक चिन्ह मिलने के दावे किये जा रहे हैं। तहखाने में मूर्तियां, कलश, त्रिशूल मिले हैं, इसके अलावा मंदिर शैली के करीब 20 आले भी मिले हैं। ऐसे दावों पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज की थी। अंजुमन इंतजामिया कमेटी के एक सदस्य ने दावा किया कि हिंदू पक्ष जिस प्रतीक को त्रिशूल बता रहा है वो अल्लाह लिखा हुआ है वहीं कमल की आकृति के बारे में दावा किया गया कि मुगल काल में भी इस तरह के प्रतीक चिन्ह भी हुआ करते थे।वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को मीडिया को ज्ञानवापी परिसर में हो रहे सर्वेक्षण और उसके आसपास के क्षेत्र में कवरेज नहीं करने को भी कहा और सर्वेक्षण कर रही एएसआई की टीम के सदस्यों को इस संबंध में मीडिया में कोई टिप्पणी भी नहीं करने का निर्देश दिया है। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर में जारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सर्वे को लेकर भ्रामक खबरें फैलाए जाने का आरोप लगाते हुए जिला अदालत से सर्वेक्षण के मीडिया कवरेज पर रोक लगाने का अनुरोध किया था वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले सप्ताह कहा था कि मुस्लिम पक्ष को ”ऐतिहासिक गलती” स्वीकार करनी चाहिए और समाधान का प्रस्ताव भी देना चाहिए।