गरुड़ पुराण को हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ बताया जाता है। इसमें जन्म, मृत्यु, स्वर्ग, नरक, पुनर्जन्म के साथ ही धर्म और ज्ञान से जुड़ी कई बातें भी बताई गई हैं।
गरुड़ पुराण में उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भी उपाय बताए गए हैं और हर माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उसका संतान उत्तम गुणों से परिपूर्ण हो, जिससे समाज में उसका और उसके परिवार का मान-सम्मान बढ़ सके। इसके साथ ही उत्तम गुण संतान के उज्जवल भविष्य के लिए भी जरूरी होता है और कई माता-पिता का यह सपना दुर्भाग्यवश पूरा नहीं हो पाता।
लेकिन गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा यह बताया गया है कि किस समय किए गर्भाधान से उत्तम और योग्य संतान की प्राप्ति हो सकती है। गरुड़ पुराण में बताई इन बातों का अनुसरण कर आप भी योग्य संतान के माता-पिता बन सकते हैं। तो जानते हैं योग्य संतान की प्राप्ति के लिए पति-पत्नी को क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
ऋतुकाल में चार दिन तक पुरुष को स्त्री का त्याग करना चाहिए, क्योंकि चौथे दिन स्त्रियां स्नानादि कर शुद्ध हो जाती हैं पर गर्भाधान के लिए यह समय उचित नहीं होता है।
इसके बाद स्त्रियां सातवें दिन में देवी-देवता और पितरों की पूजा के लिए योग्य होती हैं, इसलिए सात दिन के मध्य में जो गर्भाधान होता है उसे अच्छा नहीं माना जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, आठ रात के बाद गर्भाधान के लिए प्रयास करना चाहिए, इससे उत्तम व योग्य संतान की भी प्राप्ति होती है।
युग्म दिन जैसे कि अष्टमी, दशमी, द्वादशी आदि में पुत्र और अयुग्म दिन जैसे नवमी, एकादशी, त्रयोदशी आदि में हुए गर्भाधान से कन्या का जन्म होना तय होता है।
आमतौर पर सोलह दिनों तक स्त्रियों का ऋतुकाल रहता है और इसमें चौदहवे दिन में जो गर्भाधान होता है उससे गुणवान, भाग्यवान, धर्मज्ञ और बुद्धिमान संतान की प्राप्ति भी होती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, योग्य संतान की इच्छा रखने वाले पति-पत्नी का शुद्ध मन और चित्त प्रसन्न होना भी चाहिए। क्योंकि गर्भाधान के समय आपके मन की प्रवृत्ति जैसी होती है, वैसे ही स्वभाव का संतान पत्नी के गर्भ में प्रवेश भी करता है।