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ट्रॉल्स के खिलाफ़ अबतक की सबसे बड़ी कार्यवाही

सोशलहैदराबाद पुलिस ने बुधवार को सोशल मीडिया ट्रॉल्स के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की घोषणा करी है। पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) स्नेहा मेहरा (Sneha Mehra) ने पत्रकारों को यह बताया है कि पुलिस ने पिछले महीने 20 मामले दर्ज किए हैं और धारा 41ए सीआरपीसी के तहत आठ ट्रॉल्स को नोटिस भी दिया है। एक पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को यह बताया है कि मार्च के दूसरे सप्ताह में पुलिस को बीआरएस नेता और एमएलसी के कविता (BRS leader and MLC K Kavitha) का अपमान करने वाली ऑनलाइन सामग्री के बारे में कई शिकायतें भी मिलीं हैं।
वहीं अधिकारी ने बोला है कि प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पाया है कि इन ट्रोल्स ने अधिक ट्रैक्शन पाने के लिए और आर्थिक लाभों के लिए कंटेंट भी पोस्ट किया। पुलिस ने बोला है कि यह सत्यापित किया जाना बाकी है कि क्या वे राजनीतिक दलों के लिए काम भी कर रहे थे या नहीं। डीसीपी स्नेहा मेहरा ने संवाददाताओं से बातचीत में बोला है कि, “यह कार्रवाई किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं हुई है, बल्कि ट्रोल करने वालों के लिए एक संदेश है कि वे गुमनामी की आड़ में बच नहीं सकते। पुलिस ने कुछ युवाओं को ऐसी सामग्री पोस्ट करते हुए देखा है जो आपत्तिजनक, मानहानिकारक और अपमानजनक हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मॉर्फ्ड वीडियो का उपयोग करके अपने ट्रैक्शन को बढ़ाने और आसानी से पैसा कमाने के लिए उपयोग भी किया जाता है। लाइक और सब्सक्राइबर्स के लिए वे कभी-कभी ऐसी सामग्री पोस्ट कर रहे थे जो महिलाओं की गरिमा को काफी नुकसान पहुँचाती थी।” डीसीपी ने बयान में बोला है कि ये कार्रवाइयाँ आईपीसी के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत दंडनीय हैं। उन्होंने YouTube चैनलों के मालिकों और संचालकों को किसी भी प्रकार की ट्रोलिंग में लिप्त नहीं होने की चेतावनी भी दी है।डीसीपी ने कहा, “हमने हाल ही में विभिन्न ट्रोलिंग चैनलों के मालिकों या अपलोडरों के खिलाफ लगभग 20 मामले दर्ज किए हैं, जो विभिन्न जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपत्तिजनक, मानहानिकारक और अपमानजनक मॉर्फ्ड वीडियो फैला रहे हैं। हमने आठ व्यक्तियों का पता लगाया है और उनके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की है। ट्रोल करने वालों में ज्यादातर 20 से 30 साल के युवा हैं, जो या तो पढ़ाई कर रहे हैं या पढ़ाई छोड़ चुके हैं। लंबे समय में ट्रोलिंग का ऐसा आकर्षण अभद्रता को बढ़ावा दे सकता है और युवाओं में अराजकता को बढ़ावा दे सकता है।

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