जन्मों के गठबंधन में गांठ बन रही उम्र की सीमा, वर पक्ष की मांग- 30 साल से कम की हो लड़की

गौरव शुक्ला की रिपोर्ट
शादियों का बदलता ट्रेंड सिर्फ जड़ों से पलायन तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए डिग्रियों की तुलना, उम्र का अंतर और पसंद-नापसंद भी जिम्मेदार है। कॅरिअर, आत्मनिर्भरता के प्रयास अच्छे हैं, पर इस दौड़ में शादी की उम्र कहीं पीछे छूट रही है। इसका नतीजा सेहत संबंधी परेशानियों के रूप में सामने आ रहा है। वर्षों से गठबंधन करवाने के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि सुयोग्य जीवनसाथी की तलाश के क्रम में लड़के-लड़कियों की शादी की उम्र तो मायने रखती है, पर लड़कियों की आयु पर ज्यादा फोकस होता है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि बढ़ती उम्र में शादी कई तरह की शारीरिक व मानसिक दिक्कतों का कारण बनती जा रही है।
मैरिज ब्यूरो के पास आने वाले आवेदनों की पड़ताल के मुख्य बिंदु :
वर-वधू को लेकर अपेक्षाएं क्या हैं, रिश्ता ढूंढने निकले लोगों की मांग क्या है और इन सबके बीच शादी की
उम्र को लेकर दोनों पक्षों का नजरिया क्या है, इसे कुछ यूं समझें
वधू पक्ष की मांग और समझौते
– यदि लड़की ने सिर्फ एकेडमिक एजुकेशन (बीए-बीकॉम, एमए आदि) ली है तो वधू पक्ष 10 से 15 साल तक के उम्र के अंतर पर राजी हो जाता है।
– वहीं लड़की यदि प्रोफेशनल डिग्री धारी है, नौकरी पेशा है तो बात बराबर की उम्र पर आकर टिकती है। वहीं 3 से 5 साल का अंतर बहुत ज्यादा स्वीकार होता है।
वर पक्ष का रवैया
– वर पक्ष को हर हाल में लड़की 30 से कम उम्र की चाहिए होती है। इसके पीछे सोच यही होती है कि ज्यादा उम्र की लड़की हुई तो आने वाले वक्त मे संतानोत्पत्ति में दिक्कत आ सकती है।
– बिजनेस क्लास फैमिली को चाहिए घरेलू लड़की, सर्विस क्लास को पसंद आती हैं नौकरीपेशा लड़कियां।
उम्र के साथ सेहत की चुनौतियां, जरा जानिए क्या कहती हैं चिकित्सक
देर से, अधिक उम्र में होने वाली शादियों के सेहत पर प्रभाव को लेकर हमने शहर के प्रमुख महिला अस्पतालों के आंकड़ों का सहारा लिया। साथ ही स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों से इस बारे में जानने की कोशिश की। हालांकि सभी डॉक्टरों का कहना था कि कॅरिअर पर ध्यान देना, पढ़ाई पूरी करना गलत नहीं है। जल्दी शादी के कारण पढ़ाई नहीं छोड़ी जा सकती है। हां, उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचने के बाद कुछ सावधानियां जरूरी रखनी होती हैं। सेहत संबंधी चुनौतियों को लेकर हमने क्वीन मेरी की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव, आरएलबी की डॉ. संगीता टंडन, डफरिन अस्पताल की डॉ. सीमा श्रीवास्तव और पीजीआई की डॉ. नीता सिंह से बात की। ओपीडी में आने वाले मरीजों की केस स्टडी के आधार पर उन्होंने देर से शादी के सेहत संबंधी साइड इफेक्ट्स को कुछ यूं समझाया।
सामान्य प्रसव के अवसर कम हो रहे।
– मेनोपॉज की उम्र घट रही है, इसके कारण संतानोत्पत्ति के अवसर कम हो रहे हैं।
– बांझपन के कई कारण हैं, इनमें से एक प्रमुख कारण है देर से शादी।
– बढ़ती उम्र में हाइपरटेंशन और डायबिटीज व हाइपरथायराइड के खतरे बढ़ते हैं। इनके खतरे बढ़ने से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की दर बढ़ रही है।
– हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में गर्भस्थ शिशु में असामान्यता का जोखिम बढ़ जाता है।