Uttarpradesh

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है

तुषार शुक्ला की रिपोर्ट 

 मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की आयु लंबी होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को रखती है. कहते हैं कि अगर पूरे विधि-विधान से इस व्रत को रखा जाए तो मनवांछित जीवन साथी मिलता है. करवा चौथ के दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों पानी पीकर अपना उपवास तोड़ती हैं।वैसे तो किसी भी व्रत के कुछ आधारभूत नियम होते हैं, जैसे कि क्रोध न करना, किसी की बुराई न करना, मुख से अपशब्द न निकालना आदि. ठीक इसी तरह करवा चौथ के व्रत के दिन भी यह नियम लागू होता है. अगर आप व्रत कर रही हैं तो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें. कहते हैं कि अगर इस दिन क्रोध किया जाए तो व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है.

व्रत की शुरुआत सरगी खाकर करें. सरगी सूर्योदय से पहले खानी चाहिए. जिस वक्त आप सरगी खाएं उस वक्त दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुख कर के ही बैठें,करवा चौथ पर दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है. यानी कि अन्न-जल के अलावा पानी पीने की भी मनाही होती है. सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं. वहीं, कुंवारी लड़कियां तारों के दर्शन करने के बाद पानी पी सकती हैं. वैसे तो गर्भवती और बीमार महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए. लेकिन कई गर्भवती महिलाएं फल और पानी पीकर भी यह व्रत कर सकती हैं।
करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. इस दिन सुहाग के रंग जैसे कि लाल, पीले और हरे रंग की साड़ी, सलवार सूट और लहंगे का सर्वाधिक चलन है. इस दिन काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
करवा चौथ के व्रत के दिन चांद को अर्घ्य देना बेहद जरूरी और शुभ माना गया है. इस दिन महिलाएं सबसे पहले छलनी पर दीपक रखती हैं. इसके बाद छलनी से पहले चांद को और फिर पति को देखती हैं. इसके बाद चांद को अर्घ्य दिया जाता है. आखिर में महिलाएं पति के हाथ से पानी पीकर और मिठाई खाकर अपना व्रत खोलती हैं.
इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और फिर पति के साथ बैठकर भोजन करें. साथ ही यह पति-पत्नी दोनों के लिए जरूरी है कि वे सिर्फ करवा चौथ के दिन ही नहीं बल्कि हमेशा एक-दूसरे का सम्मान करें, ताकि उनका रिश्ता हमेशा प्यार की डोर से बंधा रहे.

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