आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एव प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के होनहार छात्र छात्राओ ने दी अहम जानकारी

जिला ब्यूरोचीफ अमरनाथ यादव
कुमारगंज-पालतू या जंगली जानवर के काट लेने के बाद उपचार- वेटनरी छात्र
विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों द्वारा जंगली जानवरों के काटने पर क्या प्राथमिक उपचार करना चाहिए। इसके बारे में विस्तृत जानकारी छात्र- छात्रओ द्वारा दी गई।(छात्र प्रखर द्विवेदी) ने जानकारी को अवगत कराते हुए कहा कि यदि कोई जंगली जानवर काट ले तो हमें उसे संज्ञान में लेकर निकटतम चिकित्सालय जाकर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।( छात्र निहाल मिश्रा) ने बताया कि अगर कोई जंगली जानवर काट ले तो सबसे पहले उसे बहाव वाले पानी से अच्छी तरह से धुलना चाहिए। फिर सुखाकर कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लगाना चाहिए। (छात्रा वृंदा वर्मा) ने बताया कि अगर पालतू तथा जंगली जानवर व पशु काट ले या उसका नाखून भी लग जाए तो भी उसे संज्ञान में लेकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।( छात्रा सान्या चौधरी) ने बताया कि अगर किसी को सांप काट ले तो सबसे पहले कोशिश यही करना चाहिए कि शरीर का वह भाग बिल्कुल भी नहीं हिलाना चाहिए।और कटे हुए स्थान को साफ पानी से धोना चाहिए। (छात्रा निधि)ने बताया कि तुरंत पास के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र पर पहुंचकर डॉक्टर से तुरंत इलाज कराना चाहिए।(छात्र उज्जवल नायक) ने बताया कि लम्पी स्किन डिसीज बहुत तेजी से फैल रही है। लेकिन इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसमें जानवरों की मृत्यु दर 5% से भी कम होती है। लेकिन यह आर्थिक रूप से हानि पहुंचाने वाली बीमारी है।बस सतर्कता बरतने की जरूरत है।आगे मीडिया से बात करते हुए (डॉक्टर विभा यादव पशु सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय) ने बताया कि जंगली पशुओं के काटने पर उसका उपचार कैसे करना चाहिए। जंगली जानवरों की लार में विभिन्न प्रकार के जीवाणु और विषाणु होते हैं।जंगली कुत्ते के काटने से एक रेबीज नाम की बीमारी होती है। इस बीमारी का वायरस गर्म खून वाले जंगली जानवरों के काटने से होता है। 95% रैबीज की बीमारी कुत्तों के काटने से होती है। जब जंगली जानवर काटता है। तो इस रोग के विषाणु मांस में आ जाते हैं। वहां से खून में पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की बीमारी है। इसमें पागलपन के लक्षण दिखाई देते हैं।एक बार इस बीमारी के होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं होता है। इसलिए समय से प्राथमिक उपचार करते हुए डॉक्टर की सलाह से टीकाकरण अवश्य कराएं।