हरदोई में लगातार हो रहे पत्रकार पर फर्जी मुकदमे पत्रकार की कलम को रोकने कोशिश

मोहित गुप्ता की रिपोर्ट
हरदोई जनपद में योगी सरकार में भ्रष्टाचार की आवाज उठाने वाले पत्रकारों पर ही पुलिस और माफियाओं के गठजोड़ के चलते लगातार फर्जी मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। सरकार को भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों की हकीकत से रूबरू कराना पत्रकारों को महंगा पड़ रहा है।
ताजा मामला लखनऊ मंडल के अंतर्गत जनपद हरदोई की नगर पंचायत कछौना पतसेनी का है जहाँ पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले एक पत्रकार एस.बी.सिंह सेंगऱ पर कछौना पुलिस ने स्थानीय व्यापारियों व कुछ भ्रष्टाचारियों के प्रभाव में आकर फर्जी मुकदमा दर्ज किया है।
कछौना के युवा पत्रकार एस.बी.सिंह सेंगऱ अपनी खोजी पत्रकारिता व निष्पक्ष खबरों के लिए विगत कई वर्षों से जाने जाते हैं। जनहित समस्याओं व भ्रष्टाचार पर बेबाकी से लिखने वाले पत्रकार सेंगऱ की अपनी एक अलग पहचान है। पीड़ित पत्रकार एस.बी.सिंह सेंगर ने बताया कि उसने द्वारा आम जनमानस से संवाद तथा जनहित समस्याओं के संकलन व यथासंभव निराकरण आदि उद्देश्यों को लेकर एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया था जिसमें किसी अज्ञात सदस्य ने उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल की कछौना इकाई व पदाधिकारियों के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का रहस्योद्घाटन कर दिया था।अज्ञात सदस्य ने ग्रुप में व्यापार मंडल/व्यापारियों के द्वारा कछौना पुलिस इंस्पेक्टर के ऑफिस में लगवाई गई एसी(एयर कंडीशनर) के बारे में भी खुलासा किया था। जिससे खुन्नस खाकर व्यापारियों ने पुलिस से मिलीभगत कर अज्ञात व्यक्ति के साथ-साथ ग्रुप एडमिन एस.बी.सिंह सेंगर पर भी षड्यंत्र के साथ फर्जी तरीके के मुकदमा दर्ज करवा दिया। जबकि एफआईआर में लिखे तथ्य वास्तविकता से कोसों दूर हैं और पत्रकार निर्दोष है। इसके बावजूद भी व्यापार मंडल के प्रभाव में कार्य कर रही कछौना पुलिस मामले की जांच पड़ताल करने के बजाय पत्रकार को ही आरोपी साबित करने में लगी हुई है।पत्रकार ने यह भी बताया कि उसने लॉकडाउन पीरियड में व्यापारियों द्वारा अवैध रूप से मंगवाई गई कमला पसंद मसाले की बड़ी खेप पकड़कर शासन-प्रशासन को अवगत कराया था, जिस पर जांच भी हुई और मोटा लेनदेन कर मामले को निपटा दिया गया था। व्यापार मंडल उसी प्रकरण को लेकर पत्रकार व उसके सहयोगियों से द्वेषपूर्ण भावना रखता आ रहा है। पत्रकार पर दर्ज हुए फर्जी मुकदमें को लेकर पत्रकारों व पत्रकार संगठनों में पुलिस की कार्यशैली के प्रति आक्रोश व्याप्त है।