Uttarpradesh

कहीं ज्वाला न बन जाए मास्टर प्लान को लेकर सुलग रही चिंगारी

गौरव शुक्ला की रिपोर्ट

फर्रुखाबाद  अतिक्रमण निरोधी अभियान ने फर्रुखाबाद का व्यापार चौपट कर दिया है। लोहाई रोड, महादेवी वर्मा मार्ग (रेलवे रोड) पर तो भूकम्प जैसे हालात नजर आ रहे हैं। न प्रतिष्ठान नजर आ रहे हैं और न ही ग्राहक। अब प्रशासन द्वारा जारी मास्टर प्लान ने लोगों की नींद उड़ा दी है। खासकर कादरीगेट मार्ग और पांचालघाट से मसेनी होकर सेंट्रल जेल तक आए मार्ग पर रोड किनारे रहने वाले वाशिंदों की नींद हराम हो गयी है। आपत्ति पर आपत्ति पड़ रही हैं, लोग दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन अब तक तो न अधिकारी सुन रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि। डर है कहीं लोगों के दिलों में उठी चिंगारी ज्वाला न बन जाए
फर्रुखाबाद का भविष्य क्या होगा, यह अभी किसी को नहीं पता है, लेकिन वर्तमान पर नजर डालें तो व्यापारी खून के आँसू रो रहे हैं। दुकानों पर ग्राहकों के साथ मोलभाव करने वाले व्यापारी अब अपने प्रतिष्ठानों पर हथौड़े मारते नजर आ रहे हैं। जिनकी पूरी दुकान टूट रही है, उनके पीछे वालों के मन में लड्डूृ फूट रहे हैं, क्योंकि वो अब फ्रण्ट पर आ जाएंगे। टाइम सेंटर अब इतिहास की बात हो गयी है और कृष्णकान्त गुप्ता की दूसरी दुकान गिफ्ट हाउस का भी शो बिगड़ सकता है।
अब महायोजना की बात करें, तो इस योजना ने अभी से लोगों को दर्द देना शुरू कर दिया है। चाहे वह सड़कों की चौड़ाई की बात हो या फिर हरित क्षेत्र की। अगर जारी नक्शे के आधार पर ही यह योजना लागू होती है तो सैकड़ों लोगों के आशियाने इस योजना की भेंट चढ़ जाएंगे। खासकर नेकपुर चौरासी  में हरित पट्टी के खिलाफ लोगों की आवाज बुलन्द हो रही है। कादरी गेट से पांचालघाट और पाञ्चाल घाट से लेकर मसेनी- ओवरब्रिज होते हुए सेंट्रल जेल तक के मार्ग का चौड़ीकरण लोगों के गले नहीं उतर रहा है। इसको लेकर प्रबल विरोध है और इन मार्गों पर रहने वाले लोगों ने अपने-अपने घरों के बाहर मकान बिकाऊ है के पोस्टर लगाने की तैयारी है। लेकिन यह महज विरोध मात्र ही होगा, क्योंकि ऐसी दशा में कौन खरीददार मिलेगा। पूर्व सैनिकों ने गुरुवार को सांसद प्रतिनिधि से भेंट की, वहाँ वाद-विवाद भी हुआ, लेकिन नतीजा कुछ नहीं मिला।
अब देखना यह है कि आपत्तियों पर जिला प्रशासन कितना गौर करता है। इसमें किंचित मात्र सन्देह नहीं महायोजना के नक्शे में तमाम खामियाँ हैं। ऐसा प्रतीत होता है बनाने वाली कम्पनी को नगर की भौगोलिक जानकारी ही नहीं है। पांचाल घाट के वाशिंदों ने आज पत्रकार को बुलाकर अपनी पीड़ा भी व्यक्त की है। इस महंगाई के दौर में आशियाना बनाना कितना मुश्किल है, यह किसी से छिपा नहीं है।

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