कानपुर हिंसा का दर्द…किसी का कारोबार चौपट तो कोई खुद को निर्दोष साबित करने में जुटा

कानपुर में 3 जून के बवाल के बाद उभरी दर्द भरी जिंदगी भले पटरी पर लौट रही हो, लेकिन हिंसा वाली जगह के आसपास के दुकानदारों का बिजनेस चौपट हो गया है. उधर, गिरफ्तार कई आरोपियों के परिजन उन्हें निर्दोष बता रहे हैं. वे आरोपी के संबंध में पुलिस से सबूत मांग रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. आरोपियों में से कुछ ऐसे लोग हैं जिनके बच्चों का निकाह कुछ महीने बाद होना है.
कानपुर में 3 जून के बवाल की तपिश भले ठंडी हो गई है लेकिन उस तपिश में झुलसे लोग अभी भी अपने दर्द को महसूस कर रहे हैं. इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिनका बिजनेस बवाल के बाद चौपट हो गया. हालांकि अब दुकानें खुलने लगी हैं लेकिन यहां खरीददार नदारद हैं.
उधर, बवाल की जद में शामिल कुछ ऐसे परिवार हैं जिनके घर के सदस्यों को बवाल के आरोप में जेल भेज दिया गया है. अब ऐसे परिवार अपने बेटे-भाई को निर्दोष बता रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं. आजतक ने ऐसे परिवारों और ग्राहकों के लिए तरस रहे दुकानदारों से मुलाकात की और उनके दर्द को समझने की कोशिश की।
शहंशाह की बहन और बेटी.
आजतक की टीम सबसे पहले जरीब चौकी पर रहने वाले 56 साल के शहंशाह के घर पहुंची. शंहशाह को पुलिस ने बवाल में शामिल रहने और पत्थरबाजी करने के आरोप में जेल भेज दिया है. शहंशाह के घर के बाहर पुलिस के दो सिपाही मोहम्मद फैसल से कुछ पूछताछ करते दिखे. इसके बाद आजतक की टीम शहंशाह के घर के अंदर पहुंची.
परिजन बोले- अगर सबूत मिल जाए तो हम खुद सजा दिलाएंगे
घर के अंदर फैसल के साथ उनकी बहन अलिसा और छोटी बेटी मायूस बैठी थी. अलिसा का दो महीने बाद निकाह होना है. शहंशाह अपनी बहन के निकाह की तैयारी में जुटे थे, लेकिन वे पत्थरबाजी के बवाल में उलझ गए.
परिजन समझ नहीं पा रहे हैं कि इनका कसूर क्या है? शहंशाह के परिजन का आरोप है कि हमारे अब्बू को पुलिस 6 जून को सिर्फ पूछताछ के लिए ले गई थी. वे तीन जून को घर में थे, कहीं गए नहीं. बवाल के वीडियो में उनका कोई फुटेज नहीं है. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है, फिर भी पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया. शहंशाह की बेटी ने कहा कि अगर अब्बू के खिलाफ कोई सबूत मिल जाए तो हम खुद उनको सजा दिलाएंगे।
शहंशाह के घर के बाद सद्भावना पुलिस चौकी चौराहे पर पहुंची टीम
शहंशाह के घर से निकलने के बाद आजतक की टीम उस सद्भावना पुलिस चौकी चौराहे पर पहुंची जहां बवाल हुआ था. यहां जनजीवन सामान्य दिखा. मार्केट की दुकानें भी खुली दिखीं. जब टीम थोड़ी दूर आगे बढ़ी तो दिखा कि सद्भावना पुलिस चौकी में पथराव करने वाले 40 पत्थरबाजों का पोस्टर लगा हुआ है. हालांकि पुलिस इनमें से सिर्फ छह आरोपियों को पकड़ पाई है.
आजतक की टीम ने उन दुकानदारों का दर्द समझाना चाहा जिनकी दुकानें बवाल के बाद बंद रही और अब जब दुकानें खुली हैं तो धंधा मंदा पड़ गया है. इनमें ज्यादातर कूलर से संबंधित दुकानदार शामिल थे. इन दुकानदारों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों शामिल हैं. उनकी दुकानों के सामने से ही पथराव शुरू हुआ था. दुकानदारों से बात करने पर एक ही बात सामने निकलकर आई कि इस सीजन में उनका धंधा चौपट हो गया. दुकानदारों ने कहा कि बवाल से हमें क्या लेना? लेकिन उसका खामियाजा तो हमें ही भुगतना पड़ा है. अब तो सीजन ही चला गया।
दुकानदारों ने कहा- बवाल के चक्कर में धंधे में बट्टा लग गया है.
कूलर के दुकानदार मोहम्मद यूनुस ने कहा कि हमारा धंधा चौपट हो गया. बवाल के बाद पहले दुकानें बंद रहीं, अब कोई दुकानदार नहीं आ रहा है. वहीं, दुकानदार ब्रज किशोर मिश्रा ने कहा कि बवाल के दो-तीन दिन बाद तो दुकानें बंद रहीं. अब दुकानें खुली हैं तो ग्राहक नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पत्थर किसी ने चलाया, चोट किसी को लगी… लेकिन धंधा हमारा चौपट हो गया. हमारा बवाल से क्या लेना-देना?
पुलिस ने दर्ज की है 13 FIR, 56 लोगों को भेजा गया है जेल
पुलिस ने इस मामले में अबतक 13 एफआईआर दर्ज की हैं. अबतक 56 लोगों को जेल भी भेजा जा चुका है. मुख्य आरोपी जफर हयात और उसके साथी को पुलिस ने कानपुर जेल से दूसरे जिलों की जेलों में शिफ्ट कर दिया है.
पिछले सात दिनों से कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. 34 पत्थरबाज अभी तक फरार हैं. बवाल के सूत्रधारों की संपत्ति पर कोई बुलडोजर भी अभी तक नहीं चला है. उल्टा केडीए ने अवैध निर्माण में जिन बिल्डिंगों को सीज किया या एक को गिराया. पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में उनको बवाल का संदिग्ध मान लिया जबकि उनमें से किसी पर भी कोई एफआईआर अबतक नहीं की गई है. यानी पुलिस और बवालियों के बीच व्यापारी और दुकानदार तो बर्बाद हुए ही, कुछ लोग खुद को निर्दोष साबित करने के लिए भी ठोकरें खा रहे हैं।