Uttarpradesh

राष्ट्रपति चुनाव में वोटों का गणित बिगाड़ सकता है BJP का खेल! जानें कैसे विपक्ष का पलड़ा है भारी

देश में इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव काफी चर्चा में है. शुक्रवार तक राष्ट्रपति चुनाव के लिए 15 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है. हालांकि, कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स के अभाव में तीन नामांकन खारिज भी किए जा सकते हैं. लेकिन अभी तक इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. इस बार राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को जीतना इतना आसान नहीं होगा. आंकड़ों के खेल में विपक्ष का पलड़ा बीजेपी पर भारी पड़ता दिख रहा है. अगर पूरा विपक्ष एक हो जाए, तो बीजेपी को हार का मुख देखना पड़ सकता है।

सांसद और विधायकों के वोट की होती है वैल्यू

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  इस चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य होंगे. इनमें राज्य सभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य होंगे. वोटिंग के वक्त हर विधायक और और सांसद के वोट की वैल्यू होती है. इस बार हर संसद सदस्य के वोट की कीमत 700 तय की गई है. हर राज्य के विधानसभा सदस्यों के वोटों कीमत उस राज्य की जनसंख्या पर निर्भर होती है.

जनसंख्या के मुताबिक तय होता है वेटेज

उदाहरण के लिए यूपी के विधायकों के वोट का वेटेज 208 होगा, जबकि मिजोरम में 8 और तमिलनाडु में 176 होगा. राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोटों का कुल वेटेज 5,43,231 होगा. वहीं संसद के सदस्यों के वोटों का वेटेज 543,200 है. कुल मिलाकर इस साल सभी सदस्यों के वोटों का वेटेज 1086431 है.

विपक्ष का पलड़ा भारी

राष्ट्रपति चुनाव में ऐसे तो केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी मजबूत स्थिति में दिख रही है, लेकिन विपक्ष से अभी भी पीछे है. दरअसल, बीजेपी के पास 50 फीसदी से कम वोट हैं. इस वक्त बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 48.9 फीसदी वोट हैं, वहीं विपक्ष के पास 51.1 फीसदी वोट हैं. यानी अगर विपक्ष का एक-एक वोट एकजुट हो जाता है तो वो बीजेपी के लिए बड़ी दिक्कत पैदा कर सकता है.

बीजेपी का ये है प्लान

राजनीतिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीजेपी के लिए इस चुनाव को जीतना बहुत मुश्किल नहीं होगा. बीजेपी केवल 2.2 फीसदी वोट पीछे है. चूंकि बीजेपी केंद्र में सत्ता की कमान संभाले हुए है, इसलिए कुछ विपक्षी छोटे दल आसानी से बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन दे सकते हैं. इसके साथ ही पिछले कई चुनावों में ये देखा गया है कि बीजेपी विपक्ष के वोटों में सेंध लगाकर सरकार बनाने में कारगर साबित हुई है. इसके उदाहरण मध्यप्रदेश, मणिपुर और गोवा जैसे राज्य हैं. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव में ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी, आंध्र प्रदेश की सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस और केसीआर की पार्टी टीआरएस से भी समर्थन मांग सकती है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 29 जून तक नामांकन होना है. वहीं 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे आएंगे।

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