जादुई अंक के पास जादूगर गहलोत, बाड़ेबंदी में विधायकों का आंकड़ा हुआ 124; बिगड़ सकता है सुभाष चंद्रा का गणित

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के 3 दिन शेष बचे है। राजनीति के जादूगर गहलोत ने एक-एक करके सब को साध लिया है। बाड़ेबंदी में कांग्रेस और समर्थित विधायकों का आंकड़ा 124 तक पहुंच गया है। कुछ विधायक भले ही बाड़ेबंदी में शामिल नहीं हुए हो लेकिन पार्टी को उन पर पूरा भरोसा है। कांग्रेस की 3 सीट जीतने की संभावनाएं बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा चुनाव में जीतने के लिए एक प्रत्याशी को कुल 41 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में कांग्रेस के पास 120 विधायकों का समर्थन तो स्पष्ट दिख रहा है। निर्दलीय विधायक बलजीत यादव को मना लिया गया है। निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और वेदप्रकाश सोलंकी और दिव्या मदेरणा के भी बाड़ेबंदी में पहुंचने से कांग्रेस को राहत मिली है। जैसलमेर के विधायक रूपाराम भी भी उदयपुर पहुंच गए है। माकपा के दो विधायकों का भी कांग्रेस को समर्थन मिल गया है। बीटीपी ने शर्तें लगा रखी है। माना जा रहा है कि बीटीपी के विधायकों को मनाने के लिए सीएम गहलोत ने खुद कमान संभाल रखी है। बाड़ेबंदी म 13 निर्दलीयों में से 12 विधायक शामिल है
कांग्रेस के सामने विधायकों की बीमारी बनी समस्या
जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस ने सभी विधायकों को अपने साथ ले लिया है। लेकिन असल चुनौती गहलोत के सामने बीटीपी के दोनों विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद और कांग्रेस के बीमार विधायक बने हुए हैं। कांग्रेस विधायकों की बात करें तो वेद सोलंकी, भंवर लाल शर्मा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, जोहरी लाल मीणा और मुरारी लाल मीणा की बीमारी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। हालांकि बाकी विधायक तो मतदान करने में सक्षम हैं, लेकिन इनमें भी भंवर लाल शर्मा की तबीयत ज्यादा खराब बताई जा रही है। ऐसे में कांग्रेस इन बीमार विधायकों से कैसे मतदान करवाती है। यह देखने वाली बात होगी।
दिव्या मदेरणा और बिधूड़ी को मनाया
कुछ दिन पहले नाराज बताए जा रहे मंत्री राजेंद्र गुड्डा, वाजिब अली, लाखन मीणा, संदीप यादव, गिर्राज मलिंगा और खिलाड़ी लाल बैरवा को मुख्यमंत्री ने साध लिया है। नाराज बताए जा रहे राजेंद्र बिधूड़ी और दिव्या मदेरणा भी कांग्रेस कैंप में उदयपुर पहुंच गए हैं। तीसरी सीट जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी को निर्दलीय और सहयोगी दलों के वोट की भी आवश्यकता होगी। 3 सीट जीतने के लिए कांग्रेस को 123 मतों की आवश्यकता है। यदि कांग्रेस पहले और दूसरी वरीयता वाले प्रत्याशियों के लिए एक-एक वोट अतिरिक्त रखती है, तो उसे सभी के मतों की आवश्यकता होगी।
आरएलपी का मिला सुभाष चंद्रा को समर्थन
मौजूदा संख्या बल के हिसाब से भाजपा एक सीट पर जीत रही है। दूसरी सीट के लिए उसे 11 वोट चाहिए। भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। सुभाष चंद्रा भी मैदान में है। भाजपा के 71 विधायक हैं। एक सीट जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। दो उम्मीदवारों के लिए 82 वोट चाहिए। भाजपा समर्थक दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए 11 वोट कम पड़ रहे हैं। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 3 विधायकों का सपोर्ट सुभाष चंद्रा को मिल गया है। भाजपा की कुल संख्या 74 हो जाती है। फिर दूसरे उम्मीदवार के लिए 8 वोटों की कमी रहती है। कांग्रेसी खेमे में सेंध लगाकर आठ वोट का प्रबंध करने पर ही भाजपा समर्थक दूसरा उम्मीदवार जीत सकता है। कांग्रेस के रणनीतिकार कांग्रेस के 108, 13 निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर 126 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। इसलिए मुकाबला बहुत रोचक है। कांग्रेसी खेमे से भाजपा कुछ निर्दलीयों और नाराज कांग्रेस विधायकों में सेंध लगाने के प्रयास में है।