योगी दिल्ली से चर्चा कर लौटे लखनऊ, आखिर किस आधार पर चुनेंगे मंत्री?

प्रधान संपादक की रिपोर्ट
लखनऊ-बीजेपी की पूर्ण बहुमत की जीत के बाद उत्तर प्रदेश में कैबिनेट के चेहरों पर चर्चा ज़ोरों की है।ऐसा माना जाता है कि बीजेपी ऐसी पार्टी है जो एक चुनाव ख़त्म होने के तुरंत बाद दूसरे चुनाव की तैयारी में जुट जाती है।साथ ही अपना अगला लक्ष्य सामने रख कर वो राजनीतिक और प्रशासनिक फैसले लेने की कोशिश करती है।ऐसे में यूपी में 2022 ख़त्म हुआ नहीं और 2024 की चर्चा भी शुरू हो गई है।
रविवार को कैबिनेट से जुड़ी बैठकों में योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा पार्टी के तमाम आला नेताओं से दिल्ली में मिले।शपथ ग्रहण की तारीख़ फिलहाल तय नहीं है लेकिन लखनऊ के अख़बारों में तमाम नामों को लेकर चर्चा गर्म है।
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री और मंत्री बनाने के लिए दो चीज़ों पर सोच विचार हो रहा होगा।”पहला ये है कि 2024 को जीतने के मकसद से सामाजिक समीकरण ठीक होने चाहिए।और दूसरा ये कि सरकार में पावर शेयरिंग दिखाने के लिए कुछ लोगों को बड़े पद मिलें और किसी एक में असीमित ताकत ना हो”
साथ ही कुछ बरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि सरकार भले ही चुनाव जीत गई हो लेकिन जनता की नाराज़गी से जुड़ी हुई समस्या अभी भी कायम है।
ये समझाते हुए वो कहते हैं, “जो मंत्रिमंडल बनाया जाएगा, वो अगले लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न बिरादरियों को प्रतिनिधित्व देने, और प्रशासन को कारगर बनाने के मकसद से होगा।चुनाव भले ही जीत गए हैं, लेकिन जिन समस्याओं की वजह से जनता नाराज़ थी वो मुद्दे अभी भी बरकरार हैं। जैसे छुट्टा जानवर की समस्या है, बेरोज़गारी की समस्या है, उनका हल निकालने के लिए प्रतिनिधित्व देना होगा”।
कौन बनेगा सरकार का दलित चेहरा?
एक नाम जो उत्तर प्रदेश के अधिकतर पत्रकारों की जुबान पर है वो है आगरा ग्रामीण से विधायक बेबी रानी मौर्य आगरा की पूर्व महापौर और उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल को राज्यपाल पद से इस्तीफ़ा दिला कर बीजेपी ने विधायक का चुनाव लड़वाया और उन्होंने 76,000 से भी अधिक वोटों से जीत दर्ज़ की है।
वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, “बेबी रानी मौर्य के बारे में बहुत चर्चा है। वो जाटव दलित हैं, तो भाजपा ज़रूर उनको जीत का इनाम देगी। उनके बारे में तो चर्चा थी कि अगर बीजेपी की 225 से कम सीट आईं तो वो मुख्यमंत्री बनेंगी। उनका मंत्री बनना मुझे लगता है लगभग तय है।किसी न किसी रूप में उन्हें पद मिलेगा जो काफी बड़ा होगा।”
पत्रकारों के मुताबिक़, बीजेपी, बीएसपी के ख़राब प्रदर्शन का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेगी।वो कहते हैं, “अब सबका निशाना 12 प्रतिशत मायावती का वोट है।जो अभी भी मायावती के पास बचा है, जो धीरे-धीरे ख़त्म होना है।बीजेपी उसके लिए काम पर लग गई होगी कि उस 12% जाटव वोट को अगले चुनाव से पहले कैसे अपने क़ब्ज़े में ले आए, इस पर वो काम करेगी।और इस लिहाज़ से भी मंत्रिमंडल पर वो काम कर रही होगी।”
पश्चिम उत्तर प्रदेश में राजनीति कवर करते आ रहे कुछ पत्रकारों ने भी बेबी रानी मौर्या की दावेदारी को मज़बूत बताते हुए कहते हैं, “चुनाव से ठीक पहले इस्तीफ़ा देकर इसलिए बुलाया गया ताकि दलित उनसे जुड़ जाये।और इत्तेफ़ाक़ ये हुआ की दलित बीजेपी की ओर मुड़ गया। जिस पर आरएसएस के लीडर पिछले पंद्रह सालों से मेहनत करते थे, घरों में खाना खाते थे, एक श्मशान एक कुएं की बात करते थे, समरसता अभियान चलते थे, तो इस बार दलित समाज बीजेपी के लिए जीत का बड़ा आधार बना है. इसलिए बेबी रानी मौर्य को एक बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है।”