पाकिस्तान में एक मस्जिद को गिराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर कोर्ट को ही धमकी दी गई है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) सिंध के महासचिव मौलाना राशिद महमूद सूमरो ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद और सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह को कराची में अवैध रूप से निर्मित मस्जिदों को ध्वस्त करने के आदेश को लागू करने की चुनौती दी.
मस्जिद गिरी तो तुम्हारे ओहदे भी सलामत नहीं रहेंगे, हमारे सरों से होकर गुजरना होगा- पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट को धमकी
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तारिक रोड के पास एमेनिटी पार्क की जमीन पर बनी एक मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान को गिराने का आदेश दिया था.
‘किसी में जुर्रत नहीं कि मस्जिद की एक ईंट भी गिराए’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए मौलाना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वो कहते दिख रहे हैं, ‘क्या इसको मदीने की रियासत कहा जाता है कि मंदिर तो महफूज है और मस्जिद को गिराने का हुक्म सुप्रीम कोर्ट देती है? जब तक हम जिंदा हैं किसी में जुर्रत नहीं कि मस्जिद की एक ईंट भी गिराए.’
‘अगर मस्जिद सलामत नहीं रही तो तुम्हारे ओहदे भी सलामत नहीं रहेंगे’
वीडियो एक कार्यक्रम का है जिसमें राशिद महमूद सूमरो गरजते हुए कोर्ट को धमकी दे रहे हैं, ‘अगर मस्जिद सलामत नहीं रही तो तुम्हारे ओहदे भी सलामत नहीं रहेंगे, तुम्हारे दफ्तर भी सलामत नहीं रहेंगे. अगर तुम्हारे अंदर जुर्रत है तो मस्जिद को गिराकर दिखाओ, मस्जिद लावारिस नहीं है. तारिक रोड हो, मदीना मस्जिद हो, इंशाअल्लाह जमीयत इसकी चौकीदारी करेगी. हम जालिम से बगावत करेंगे. मस्जिद तक पहुंचने के लिए जमीयत के लोगों के सिरों से गुजरना होगा.’
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जीफ जस्टिस को चुनौती देते हुए कहा कि वो मस्जिद को गिराने का आदेश बाद में दें, पहले पाकिस्तान के पेट्रोल पंप, स्कूलों और सैनिक छावनियों को गिराने का आदेश दें.
क्या है पूरा मामला
चीफ जस्टिस गुलजार अहमद और जस्टिस काजी मुहम्मद अमीन की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कराची रजिस्ट्री में तारिक रोड में एक पार्क की जमीन पर मदीना मस्जिद के निर्माण और अन्य अतिक्रमणों के खिलाफ मामले की सुनवाई की थी.
DMC ईस्ट के जिला प्रशासक की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि मस्जिद का निर्माण पार्क की जमीन पर किया गया है. कराची की स्ठिति पर जिला प्रशासन को फटकार लगाते हुए जस्टिस गुलजार ने कब्जा की जा रही जमीन पर रोष जताया.
सुप्रीम कोर्ट के जज ने जिला प्रशासक को फटकार लगाते हुए कहा, ‘आपने इस शहर के साथ क्या किया? शहर को इस तरह बनाया कि इसे फिर से तोड़-फोड़ कर पोलैंड, जर्मनी और फ्रांस की तरह बनाना पड़ेगा.’
कोर्ट में मस्जिद प्रशासन के वकील ख्वाजा शम्स ने कहा कि नीलामी के जरिए कराची महानगर निगम (KMC) से मस्जिद की जमीन हासिल की गई थी. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि इसके स्थान पर एक नई मस्जिद बनाई जा रही है.
वकील ने कहा, ‘असिस्टेंट कमिश्नर अस्मा बतूल ने सांप्रदायिकता की आग में घी डालने के लिए एक दरगाह और एक कब्रिस्तान का निर्माण किया है. बिस्मिल्लाह मस्जिद भी सांप्रदायिकता फैलाने के लिए रातों-रात बनाई गई थी.’
गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
गुरुवार को मामले की फिर से सुनवाई हुई जिस दौरान जस्टिस काजी मुहम्मद अमीन ने टिप्पणी की कि अवैध भूमि पर कोई प्रार्थना स्थल नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम ने अवैध रूप से अधिग्रहण की गई जमीन पर मस्जिदों के निर्माण की अनुमति नहीं दी है. जस्टिस अमीन ने कहा कि KMC के पास पार्क के लिए आवंटित जमीन पर मस्जिद के निर्माण का लाइसेंस जारी करने का अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने अल-फतह मस्जिद प्रशासन के समीक्षा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें मस्जिद के लिए आवंटित भूमि KMC को वापस करने का आदेश दिया गया था. कोर्ट ने KMC की तरफ से जारी लाइसेंस को भी रद्द कर दिया.
कोर्ट ने किडनी हिल पार्क की जमीन को पूरी तरह से छोड़ने का आदेश दिया, साथ ही पार्क के भीतर बिस्मिल्लाह मस्जिद, मकबरे और कब्रिस्तान को भी हटाने का आदेश दिया.