कच्चे माल की बढ़ी कीमतें ,कंटेनर के किराए को लेकर निर्यातक परेशान ।

अलीगढ़, ताला-हार्डवेयर व आर्टवेयर के मैन्यूफैक्चर्स व निर्यातकों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कच्चे माल की कीमतें आसमान पर पहुंचने के बाद सात समंदर पार माल भेजना काफी महंगा हो गया है।
कंटेनर के किराए में विगत छह माह में चार गुना वृद्धि हो गई। अमेरिका के लिए पहले एक कंटेनर का किराया चार हजार डालर था, अब यह किराया 18 हजार डालर हो गया है। इसी तरह दुबई के लिए कंटेनर किराया 200 की जगह 900 डालर हो गया है। इसी तरह अन्य देशों ने भी कंटेनर किराया बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा कंटेनर के वजन को सभी कम किया गया है। पहले कंटेनर का वजन 28 टन था, अब इसका वजन 22 टन कर दिया गया। इस तेजी का अंतरराष्ट्रीय बाजार में असर देखने को मिल रहा है। विदेशी व्यापारियों ने अपने आर्डर रोक दिए हैं।
अलीगढ़ निर्मित ताला, हार्डवेयर व आर्टवेयर की सप्लाई देश के साथ- साथ दुनियाभर के बाजारों में होती है। 200 निर्यातक इस माल को समुद्र के रास्ते इन उत्पादों को कंटेनर से विदेश पहुंचाते हैं। निर्यातक जब भी कंटेनर की सुविधा देने वाली एजेंसियों से संपर्क करते हैं, वह हर बार किराया बढ़ाकर बताते हैं। कोरोना संकट के बाद वैश्विक मंदी से जूझ रहे बाजार में माल की खपत की कमी है। कारोबारियों ने जैसे-तैसे कारोबार को पटरी पर लाए। इसी बीच नवंबर से ताला, हार्डवेयर व आर्टवेयर में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का दौर चला। इसके साथ-साथ विदेश व्यापार की नीतियों में भी कड़ी शर्तों के साथ कई बदलाव किए गए हैं। इनमें कंटेनर के किराए में भारी वृद्धि भी शामिल है।
बकौल निर्यातक के अनुसार देश के बंदरगाहों पर चुङ्क्षनदा शिङ्क्षपग लाइन कंपनियां ही मैदान में रह गई हैं। छोटी-छोटी शिङ्क्षपग लाइन कंपनियों को कोरोना निगल गया। इस लिए बची इन चुङ्क्षनदा कंपनियों ने मनमानी कर रखी है। इसके चलते ङ्क्षसगापुर का 250 डालर की जगह 1200 डालर प्रति कंटेनर वसूला जा रहा है। यूरोपीय देश जर्मनी, इटली व फ्रांस और स्विट्जरलैंड का भी बढ़ा है। इसके चलते मिले आर्डर रोक दिए है।दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता का माहौल है। ताला-हार्डवेयर व आर्टवेयर में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल की कीमतों ने कारोबार को पहले ही चरमरा कर रख दिया, अब कंटेनर किराए की बढ़ी चार गुना कीमतों ने आर्डर ही प्रभावित कर दिए। व्यापारियों ने मिले आर्डर रोक दिए हैं। एक-एक माह तक खाली कंटेनरों का बंदरगाहों पर इंतजार किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार की कई नीतियों में बदलाव किए गए हैं। देशी-विदेशी बंदरगाहों पर बढ़े किराए का असर देखने को मिल रहा है। कंटेनर किराए की बड़ी कीमतों के असर के चलते एक-एक माह तक माल का आवागमन नहीं हो रहा है।