पेट्रोल और डीजल की कीमतों का असर ऑटो सेक्टर पर, दिवाली हुई फीकी ।

इस बार दिवाली पिछले साल के मुकाबले साल 30 फीसदी फीकी है।बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों और सेमीकंडक्टर की कमी के चलते ऑटो सेक्टर में बिक्री पर बड़ा असर पड़ा है, कारोबारियों का कहना है कि मांग के मुताबिक कारों की उपलब्धता नहीं हैं, वहीं दो पहिया गाड़ियों को खरीदने में लोगों का रुझान कम देखने को मिल रहा है।फेडरेशन ऑफ ऑटो डीलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी ने बताया है कि मांग के मुकाबले कारों की सप्लाई कम है। वहीं कार कंपनियों की तरफ से इस साल दिवाली के दौरान मिलने वाले डिस्काउंट के ऑफर भी पिछले 7 साल में सबसे कम हैं। वहीं दोपहिया वाहनों को लेकर ग्राहक जानकारी जरूर मांग रहे हैं, लेकिन खरीदारी के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
इस साल अक्टूबर में गाड़ियों की कुल बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी की कमी देखी जा रही है। इसमें पैसेंजर व्हीकल की गिरावट करीब 22-25 फीसदी है। वहीं दो पहिया गाड़ियों की मांग कोरोना महामारी के बाद से बिल्कुल भी नहीं बढ़ रही है। पिछले साल के मुकाबले इनकी बिक्री में 35 फीसदी की कमी देखी जा रही है। विंकेश गुलाटी के मुताबिक लागत बढ़ने से इनके दाम तो बढ़े ही हैं। साथ ही बढ़ते पेट्रोल के दाम भी लोगों को गाड़ी खरीदने के लिए आगे बढ़ने से रोक रहे हैं।
ऑटो डीलर्स का कहना है कि दिवाली पर फिलहाल किसी की नौकरी पर कोई खतरा नहीं है। कोरोना महामारी की वजह से कारोबारियों को कम मार्जिन के आधार पर कारोबार करने की आदत लग गई है। हालांकि ये आशंका जरूर जताई जा रही है कि हालात नहीं सुधरे तो आने वाले दिनों में मुश्किल बढ़ सकती है।
केयर रेटिंग का आंकलन है कि देश में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुधार होने में समय लग सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में नवंबर 2020 से सेमीकंडक्टर की किल्लत चल रही है। इस संकट से छोटी अवधि में दिक्कत खत्म होने के आसार कम हैं। ये हालात अगले वित्तवर्ष से सुधरने शुरू हो सकते हैं, जब वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की सप्लाई सुधरेगी। ऐसे में वित्तवर्ष 2022 के आखिर तक पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री में गिरावट बनी रह सकती है।