महंगाई को आग लगाना भी महंगा, आग भी हुई महंगी ।

नई दिल्ली : इससे बुरी खबर क्या होगी जब औने पौने मिलने वाली रोज़मर्रा चीजे भी महंगे दाम मे मिले, मामूली मगर बहुत काम की माचिस ने भी भाव दिखाना शुरू कर दिया है ।
इससे पहले 2007 में माचिस के रेट में बदलाव हुआ था. उस समय इसकी कीमत 50 पैसे बढ़कर 1 रुपए कर दी गई थी. नई कीमत 1 दिसंबर से लागू होगी.
माचिस के रेट में बढ़ोतरी का फैसला ऑल इंडिया चैम्बर ऑफ माचिस की तरफ से लिया गया है. इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि हाल के दिनों में कच्चे माल के रेट में बढ़ोतरी के कारण माचिस की कीमत में इजाफा का फैसला लिया गया है. मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि एक माचिस को बनाने में 14 अलग-अलग तरीके के रॉ मटीरियल की जरूरत होती है. इनमें से कई अवयव ऐसे हैं, जिनकी कीमत दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई है.
रेड फास्पोरस का रेट 425 रुपए से बढ़कर 810 रुपए हो गया है. वैक्स यानी मोम की कीमत 58 रुपए से बढ़कर 80 रुपए हो गई है. आउटर बॉक्स बोर्ड की कीमत 36 रुपए से बढ़कर 55 रुपए हो गई है. इनर बॉक्स बोर्ड की कीमत 32 रुपए से बढ़कर 58 रुपए हो गई है. इसके अलावा पेपर, स्प्लिंट, पोटाशियम क्लोरेट, सल्फर जैसे पदार्थों की कीमत भी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में बढ़ी है. इन तमाम कारणों से रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया गया है.
नेशनल स्मॉल मैचबॉक्स मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन के सेक्रेटरी वीएस सेतुरथिनम ने कि मैन्युफैक्चरर्स इस समय 600 मैचबॉक्स का बंडल 270-300 रुपए में बेच रहे हैं. हर माचिस में 50 तिल्लियां होती हैं. हमने कीमत में 60 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला किया है. अब हम 430-480 रुपए प्रति बंडल माचिस बेचेंगे. इसमें 12 फीसदी का जीएसटी और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट अलग से है.
तमिलनाडु में माचिस के बिजनेस में चार लाख से ज्यादा लोग सीधे और परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. सीधे रूप से जुड़े लोगों में 90 फीसदी तो केवल महिलाएं हैं. इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि जब हम काम करने वाले लोगों को ज्यादा पे करेंगे तो उनकी भी जिंदगी में सुधार होगा. यहां कम रेट मिलने के कारण ये लोग अब मनरेगा योजना में काम करने के लिए ज्यादा इंट्रेस्टेड हैं. वहां उन्हें ज्यादा पैसे मिलेंगे.