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छत्तीसगढ़ की सड़कों में 36000 गड्ढे- अनुराग सिंहदेव

(भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सिंहदेव ने सड़कों की दुर्दशा को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा, कहा- प्रदेश सरकार का विकास और सुविधाओं के नाम पर ढोल पीटना राजनीतिक पाखंड)

रेशम वर्मा कि रिपोर्ट 

रायपुर-भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनुराग सिंहदेव ने प्रदेशभर, और ख़ासकर आदिवासी बहुल इलाक़ों में सड़कों की दुर्दशा को लेकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर जमकर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार का हर मोर्चे पर पूरी तरह नाकारा साबित होने के बावज़ूद विकास और सुविधाओं के नाम पर ढोल पीटना प्रदेश की जनता के साथ सिवाय राजनीतिक पाखंड के और कुछ नहीं हैं।  सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश सरकार की गौठान और रोका-छेका योजना भी अपनी मौत मर चुकी प्रतीत हो रही है जिसके कारण इन जर्जर सड़कों पर एक तो आवारा पशुओं के झुंड हर ज़गह देखे जा सकते हैं, दूसरे जानलेवा गड्ढे प्रदेशभर की सड़कों की पहचान बन गए हैं।भाजपा प्रदेश प्रवक्ता  सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश के पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में कांग्रेस के लोग सड़कों पर गड्ढों को लेकर ख़ूब शोर मचाते थे और इन गड्ढों को भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री व मंत्रियों का नाम देते फिरते थे, परंतु आज सत्ता में आने के बाद कांग्रेस नेता तमाम प्रयोगों की विफलता और सड़कों की दुर्दशा पर मुँह में दही जमाए बैठे हैं।  सिंहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में हज़ारों किलोमीटर नई सड़क बनाने की सियासी लफ़्फ़ाजी करके प्रदेश को भरमाने के बजाय प्रदेश की जर्जर सड़कों की दशा सुधारने और सड़कों पर आवारा पशुओं के जमावड़े को हटाने पर पहले ध्यान केंद्रित करें।  सिंहदेव ने कहा कि सड़कों की दुर्दशा दूर करने में प्रदेश सरकार ने तत्काल कोई पहल नहीं की तो भाजपा कार्यकर्ता प्रदेशभर से पत्र भेजकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछेंगे कि आज सड़कों के गड्ढों को किन-किन मंत्रियों व कांग्रेस नेताओं का नाम दिया जाए? सड़कों की दुर्दशा और आवारा पशुओं के जमावड़े के कारण नेशनल/स्टेट हाई-वे सड़कें हो, या ग्रामीण क्षेत्रों को नगर व शहर मुख्यालय से जोड़ने वाली या फिर शहरों में चौक-चौराहों को जोड़ने वाली सड़कें हों, आए दिन लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ रहा है।भाजपा प्रदेश प्रवक्ता  सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाक़ों की जर्जर सड़कों पर जानलेवा गड्ढों के कारण लोगों को अपनी जान तक गवाँनी पड़ रही है। हाल ही सरगुजा के बलरामपुर ज़िले में रामचंद्रपुर ब्लॉक की एक चार वर्षीया बीमार बच्ची की जान महज इसीलिए चली गई क्योंकि जर्जर सड़क के कारण उस बच्ची को आवश्यक चिकित्सा के लिए स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाने में आधा घंटे के बजाय डेढ़ घंटे का समय लगा और समय पर चिकित्सा मुहैया नहीं होने के कारण बच्ची को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।  सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश सरकार और कांग्रेस विधायकों व नेताओं के राजनीतिक संरक्षण में प्रदेशभर में रेत माफ़ियाओं ने मनमाने रेत खनन और ओवरलोड ट्रकों के ज़रिए परिवहन कर ग्रामीण व आदिवासी बहुल इलाकों की सड़कों को तबस-नहस कर डाला है।  सिंहदेव ने कहा कि जब सड़कों की दुर्दशा व आवारा पशुओं के झुंड के कारण राजधानी में ही सप्ताहभर में ही 15 सड़क हादसे हुए हैं तो प्रदेश के दीग़र इलाकों के हालात का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

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