अभिमन्यु शुक्ला की रिपोर्ट
औरैया ग्राम मढापुर से लेकर अजीतमल ब्लाक के सुरांयदा तक 36 किलोमीटर
में फैली बीहड की पट्टी के गांव, आज तक विकास के मायने तक नहीं जानते,
पूर्व में दस्यु समस्या, फिर भूमि का असमतलीकरण, कटीली झाडियां और नीलगायें ,जंगली सुअर और अब आबारा गायों
का आतंक आदि इस इलाके के पिछड़े पन को दूर करने के लिये केन्द्र व
राज्य सरकार से कई योजनाएं दिल्ली व लखनऊ से चलीं और यहां आकर ठंडे बस्ते में बंद होकर रह गईं। यदि
सरकार पुन: इन योजनाओं को साकार करें तो बीहड पट्टी में विकास की गंगा बह
सकती है।
1-समाजसेविका साधना सरगम बताती है कि वर्ष 1967 में जनपद के अयाना
क्षेत्र के जसवंतपुर में पूर्व प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी ने ग्राम
सडरापुर के निकट पंचनद बांध परियोजना बनाए जाने का सपना देखा था किंतु अभीतक साकार नही हो सका। यदि यह
परियोजना पूरी हो जाए तो बीहड की ऊबड-खाबड भूमि भी सोना उगलने लगेगी और
ग्रामीणों को रोजगार के साथ शहरी पलायन पर अंकुश लग सकेगा।
2- युवा समाज सेवी नवीन त्रिपाठी का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा जनपद में आईटीबीपी
ट्रेनिंग सेंटर खोलने को लेकर पन्हर से आगे बीहड़ में स्थान का चयन किया गया था किन्तु आज तक
नहीं खुल सका। यदि यह सेंटर खुल जाता तो यमुना पट्टी के लगभग 50 फीसदी
ग्रामों के लिये रोजगार के दरवाजे खुल सकते हैं।
3- शिवम मिश्रा एडवोकेट बताते हैं कि वर्ष 2012-13 में केन्द्र सरकार की ओर से
राष्ट्रीय निवेश और उत्पादन योजना अंतर्गत जिले में उधोगों की उपजाऊ
भूमि को अधिग्रहण करके औद्योगिक कारीडोर सर्वे हुआ था। यदि यह योजना कारगर
होजाती तो कस्बे के कई गांव विकास की श्रंखला से जुड जाते और क्षेत्र की
वढती वेरोजगारी पर अंकुश लगेगा व पलायन भी रुकेगा।
4- जसवन्तपुरा निवासी विश्व नाथ सिंह पाल का कहना है कि यदि कन्नौज से झांसी वाया
जुहीखा यमुना पुल होकर वस सेवा शुरू हो जाये तो वीहड पटटी के लिये यह मील
का पत्थर सावित होगी