युवाओं में तेज रफ्तार का चढ़ा जुनून बेखौफ घूमते है ट्रिपल लोडिंग

शेखर की रिपोर्ट
आज के युवाओं के लिए रफ्तार पैशन (जुनून) बन गई है मगर यही जुनून हादसों की वजह भी बन रहा है बड़े शहरों की तर्ज पर नगर में भी स्पीड बाईक चलाने का जुनून युवाओं में आजकल कुछ ज्यादा ही बढ़ता जा रहा है। बेलगाम स्पीड बाईकरों के वजह से आए दिन चौक चौराहों पर सड़क हादसे होते हैं। फर्राटे से बाईक दौड़ाने वालों को न तो खाकी वर्दी का खौफ होता है न ही ट्रेफिक पुलिस की कार्यवाई का उन्हें तो बस हवा में अपनी मोटर बाईक दौड़ाने भर से मतलब होता है। वहीं चौक चौराहों पर तैनात यातायात पुलिस ऐसे बेलगाम वाहन चालकों पर कार्यवाई करना छोड़ मूकदर्शक बनी रहती है। नगर में तेज रफतार बाईकर्स चलाने का जुजून युवाओं में छाया हुआ है। लाखों रूपए के नये नये स्टाईलिश बाईक पर बैठकर तेज रफतार बाईक दौड़ाने वाले लड़के काफी कम उम्र के होते हैं। ये बाईकर्स अपनी बाईक पर दो-तीन लोगों को बैठाकर 80 से 90 की स्पीड में फूल एक्सीलेटर दबाकर नगर के मुख्य मार्ग एवं मोहल्लों की तंग सड़कों पर में फर्राटे से वाहन दौड़ाते देखे जा सकते हैं। इन पर किसी का जोर नहीं चलता। इनके सामने जो भी आता है मौत के मुंह में समा जाता है। तेज गति से वाहन दौड़ाना नगर में अब एक फैशन सा बनता जा रहा है। जिसके चलते सड़क दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा भी हो रहा है। आए दिन किसी न किसी चौक चौराहों पर ये बाईक सवार दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। अब तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। फिर भी इस अंधे रेस पर अंकुश नहीं लग पा रहा। बल्कि ऐसे लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। ट्रैफिक पुलिस शहर में केवल नाम की रह गई है। ऐसा लगता है कि सफेद वर्दी पहनकर सड़कों पर केवल टाईम पास करने के लिये ट्रैपिफ जवानों को तैनात किया जाता है। यातायात नियमों को तोडऩे वालों पर कोई कारवाई ट्रेफिक पुलिस के द्वारा नहीं की जाती। तेज रफ्तार के चलते ऐसे न जाने कितने हादसे अब तक हो चुके हैं। कितनों की जान जा चुकी है। बेलगाम व बेपरवाह तरीके से वाहन चलाने वालों पर पुलिस कोई सख्ती नहीं बरतती। चलता है, चल रहा है, चलने दो की तर्ज पर बोकारो शहर में यातायात नियम फालो की जा रही है। यातायात नियमों का पालन एक फीसदी भी नहीं हो रहा। केवल साल में एक-दो दफे यातायात सुरक्षा सप्ताह मना लेने भर से सड़कों पर चलने वाले या वाहन चलाने वाले लोग सुरक्षित नहीं रह जाते। इसके लिये पुलिस को बेहद सख्त नियम कायदों के साथ सड़कों पर उतरना होगा। बगैर लाईसेंस, बिना हेलमेट, तीन सवारी, कम उम्र के युवाओं को बाईक चलाने से रोकना एवं दुपहिया चार पहिया वाहनों के कागजात की जांच पड़ताल जब तक पूरी सख्ती से नहीं की जाएगी तब तक सड़क हादसों में अंकुश नहीं लगाया जा सकता।