9/11 अमेरिका के लिए एक मनहूस दिन जिस दिन अमेरिका पर तालिबानी आतंकियों द्वारा आतंकी हमला हुआ था। अमेरिका में हुए आतंकी हमले की 20वीं बरसी के दिन शुक्रवार को ही तालिबान ने अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पैलेस पर अपना झंडा फहराया। अमेरिका पर आतंकी हमला करने वाले अल कायदा को तालिबान ने अपने यहां सुरक्षित ठिकाना दिया था।इसके चलते ही अमेरिका ने 2001 में अफगानिस्तान पर हमला किया था, जिसके चलते तालिबान को सत्ता छोड़कर भागना पड़ा था। दो दशक बाद अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद तालिबान की फिर अफगानिस्तान में वापसी हुई है और उसने राष्ट्रपति अशरफ गनी की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्जा जमाया।
तालिबान ने अमेरिका पर आतंकी हमले की बरसी के दिन सिर्फ राष्ट्रपति पैलेस पर ही अपना झंडा नहीं फहराया है, बल्कि काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास की बिल्डिंग को भी अपने झंडे के रंग में रंग दिया है। तालिबान के झंडे की पृष्ठभूमि सफेद है जिस पर शहादा लिखा होता है। शहादा एक इस्लामी शपथ है। शहादा में लिखा होता है, ‘कोई ईश्वर नहीं है, सिर्फ अल्लाह है और उसके पैगंबर सिर्फ मोहम्मद हैं।’
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने शपथ ग्रहण समारोह को रद कर दिया है। तालिबान का कहना है कि शपथ ग्रहण समारोह संसाधनों और पैसे की बर्बादी है। हालांकि समारोह रद करने के पीछे असल वजह सहयोगियों के दबाव को माना जा रहा है। बता दें कि ऐसी रिपोर्टें थी कि तालिबान अपनी सरकार को 11 सितंबर को शपथ दिला सकता है। तालिबान का कहना है कि इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व अब काम करना शुरू कर दिया है।
तालिबान बोला- सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है
तालिबान के सदस्य इनामुल्ला समांगनी ने ट्विटर पर कहा, ‘नई अफगान सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को कुछ दिन पहले रद कर दिया गया था। लोगों को भ्रमित नहीं करने के लिए इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व ने कैबिनेट के एक हिस्से की घोषणा कर दी है और उसने काम भी शुरू कर दिया है।’