भूकंप के झटकों से हिला अंडमान,4.5रही तीव्रता

जब कभी भी प्राकृतिक आपदा आती है तो वह यह संदेश लाती है कि मनुष्य इस धरती पर कितना भी उत्पात मचा ले कितना भी आतंक कर ले परंतु प्रकृति के आगे मनुष्य असमर्थ है। समय-समय पर आते रहते भूकंप बाढ़ जैसी आपदाएं हमें भविष्य में प्रकृति से खिलवाड़ करने के लिए रोकती है। परंतु स्वार्थी मनुष्य को प्रकृति कितनी चिंता नहीं है।
अंडमान निकोबार दीप समूह में एक बार फिर धरती हिली है और अपने साथ एक भय का संदेश लाई है।
डिगलीपुर, एएनआइ। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फार सीस्मोलाजी के मुताबिक, अंडमान और निकोबार में डिगलीपुर से 137 किमी उत्तर में यह भूकंप के झटके महसूस किए गए।
बताया गया कि शनिवार सुबह 8:50 बजे यह भूकंप आया। द्वीप समूह में आए इस भूकंप की तीव्रता 4.5 रही। हालांकि, इस भूकंप में किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड में भी आज भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों का कहना है कि झटके काफी तेज थे। आज सुबह करीब पांच बजकर 58 मिनट पर उत्तराखंड में भूकंप आया। भूकंप का केंद्र चमोली जिले के जोशीमठ में रहा। यह धरती के पांच किमी अंदर आया। साथ ही इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.7 दर्ज की गई। हालांकि, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली थी।उत्तरकाशी जिले के बड़कोट इलाके में शनिवार सुबह 5.59 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों ने हल्का झटका महसूस किया और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.2 मापी गई।
पुलिस कंट्रोल रूम से प्राप्त सूचना के अनुसार जिला मुख्यालय और उप तहसील धौन्तरी में भूकंप के झटके महसूस किए गए।धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है
दरअसल ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं।
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है।
लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
मतलब साफ है कि हलचल कितनी गहराई पर हुई है। भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी सतह पर उसकी तीव्रता उतनी ही कम महसूस होगी।
रिक्टर स्केल पर आमतौर पर 5 तक की तीव्रता वाले भूकंप खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन यह क्षेत्र की संरचना पर निर्भर करता है। यदि भूकंप का केंद्र नदी का तट पर हो और वहां भूकंपरोधी तकनीक के बगैर ऊंची इमारतें बनी हों तो 5 की तीव्रता वाला भूकंप भी खतरनाक हो सकता है।