सिद्धार्थ रोती बिलखती माँ को पीछे छोड़ पंचतत्व में हुए विलीन

एक मां के लिए सबसे बड़ा गम है बेटे की अर्थी देखना, जवान बेटे को पंचतत्व में विलीन होते देखना। सिद्धार्थ शुक्ला की मां ने अपने जिगर के टुकड़े को अग्नि में विलीन होते देखा है। उनकी मां पर उस वक्त क्या बीती होगी जब उन्होंने अपने बेटे की अर्थी देखी होगी। सिद्धार्थ के अंतिम संस्कार का नजारा रूला देने वाला था । एक तरफ रोती बिलखती शहनाज गिल दिखी तो वहीं मां अपने आंखों में दर्द का सैलाब लिए पहुंची।
भारी बारिश के बीच सिद्धार्थ शुक्ला का मुंबई में अंतिम संस्कार हुआ। कह सकते हैं कि एक मां के दर्द में प्रकृति भी शामिल हो गई। झमाझम बारिश के बीच सिद्धार्थ शुक्ला का अंतिम संस्कार हुआ। सिद्धार्थ की मां पहले अपने पति को खो चुकी हैं और अब इकलौता बेटा भी चला गया।
सिद्धार्थ शुक्ला का अंतिम संस्कार ब्रह्मकुमारी रीति रिवाज हुआ। ब्रह्म्कुमारी से जुड़े तमाम लोग वहां पहुंचे थे। आपको बता दे कि सिद्धार्थ शुक्ला की मां ब्रह्मकुमारी में हीलर है लेकिन आज खुद उनका दर्द बर्दाश्त के बाहर है।
सिद्धार्थ शुक्ला का पार्थिव शरीर फूलों से सजे एंबुलेंस से कूपर अस्पताल से ओशिवारा श्मशान पहुंचा था। उनके पार्थिव शरीर को घर नहीं ले जाया जा सका।
उनकी मां और बहनों ने आखिरी दर्शन श्मशान में ही किया। सिर पर पल्लू डाले और आंखों में आंसू का सैलाब लिए उनकी मां श्मशान आई थीं। बेटे के मृत शरीर को देख मां का कलेजा फट गया होगा। सिद्धार्थ की मां ने इस दर्द में भी खुद को संभाला हुआ है। । उनकी मां बहुत स्ट्रॉन्ग महिला है ,उनकी आंखों में आंसू थे लेकिन वो फिर भी मजबूत रही। उनसे मिलने गए राहुल महाजन के मुताबिक उनकी मां ने कहा कि दुनिया से जाना तो सभी को है लेकिन मेरा बेटा बहुत जल्दी चला गया। उसे इतनी जल्दी नहीं जाना चाहिए था।
बेटे की आखिरी विदाई और उसके दम तोड़ देने का वो मंजर है जिसे ताउम्र सिद्धार्थ की मां रीता शुक्ला नहीं भूल पाएंगी। सिद्धार्थ शुक्ला की बुधवार रात जब तबियत बिगड़ी थी उनकी मां ही साथ में थीं। बैचैनी होने के बाद मां ने बेटे को पानी पिलाया था और सो जाने को कहा था। इसके बाद सुबह करीब 3 बजे मां मेडिटेशन के लिए उठी तो उन्होंने सिद्धार्थ की मां ने देखा कि वो सो रहे है इसलिए मेडिटेशन के लिए दूसरे रूम में चली गई। लेकिन मेडिटेशन से आने के बाद मां ने देखा की उनकी बॉडी में कोई हलचल नही थी, वो काफी देर से एक ही करवट सोए थे। मां और शहनाज गिल ने उन्हें काफी जगाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं उठे।
बता दे सुबह करीब 5 बजे के बाद मां ने अपनी बेटियों को बुलाया जो कि सिद्धार्थ की ही बिल्डिंग में रहती है। परिवार के लोगों की लाख कोशिश के बाद भी उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। इसके बाद फौरन फैमिली डॉक्टर को बुलाया गया। घर पहुंचकर डॉक्टर ने उनकी जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद 9 बजकर 25 मिनट पर सिद्धार्थ के परिवार के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां जांच के बाद डॉक्टर ने करीब साढ़े 10 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया।
कम उम्र में पिता को खो देने वाले सिद्धार्थ शुक्ला अपनी मां के बहुत करीब थे। पिता का साया सिर से उठा तो मां ने कोई कमी महसूस नहीं होने दी और बच्चों के साथ चट्टान की तरह खड़ी रहीं। सिद्धार्थ शुक्ला जानते थे कि आज वो जो कुछ भी हैं अपनी मां की बदौलत हैं, अपनी मां का बहुत ज्यादा सम्मान करते थे और उनसे लगाव रखते थे लेकिन आज वहीं सिद्धार्थ बुढ़ापे में मां को अकेले छोड़ ऐसी दुनिया में चले गए जहां से कोई लौटकर नहीं आता।