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नियमित व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ ने की शीघ्र प्राचार्य पदोन्नति की मांग

हरिश साहू की रिपोर्ट
मुंगेली । नियमित व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष दिलीप झा ने बताया, शिक्षा विभाग के सचिव श्री कमलप्रीत से संघटन के प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाकात की गई, जिसमें व्याख्याता से प्राचार्य पदोन्नति के सम्बंध में विस्तृत चर्चा हुई, जिसके अंतर्गत विभिन्न याचिका जो अधिनियम 2019 की विसंगतियों के कारण उच्च न्यायालय में दाखिल हैं उनका शासन द्वारा शीघ्र निराकरण करने की मांग रखी गई, ताकि 6 माह,1-2 वर्ष सेवा अवधि शेष रह गये व्याख्याताओं की पदोन्नति शीघ्र हो सके,यह भी स्पष्ट किया गया कि व्याख्याता से प्राचार्य पदोन्नति में कहीं भी अवरोध नहीं है,अतः उनकी पदोन्नति सूची जारी की जाये, तथा प्रधानपाठक और एल बी के सम्बंध में न्यायालय का निर्णय आने पर कार्यवाही की जाये।विभिन्न जिलों में व्याख्याता पदोन्नति प्राप्त साथियों का नाम 2021की वरिष्ठता सूची में नहीं है,विशेष तौर पर 2016,2017,2018 में पदोन्नति प्राप्त व्याख्याता इससे प्रभावित हैं।उल्लेखनीय है कि 2015 से प्राचार्य पदोन्नति रुकी हुई है,अतः पिछले 4-5 वर्षों की पदोन्नति तो अधिनियम 2014 के नियत प्रावधानों अंतर्गत होनी चाहिए, 2019 में विसंगतियों से पूर्ण अधिनियम बनाया गया जिसमें जानबूझकर फीडिंग केडर बदला गया, जिसके कारण उच्च न्यायालय में वाद दायर है, अतः 2019 में प्रधानपाठक बनने वालों पर यह लागू हो, इस नियंम से पूर्व 2018 तक यू डी टी और प्रधानपाठक व्याख्याता बनने के बाद प्राचार्य बनते आये हैं,अतः यू डी टी और प्रधानपाठक को व्याख्याता पदोन्नति दी जाये।
व्याख्याताओं को पदोन्नति रोक देने से याचिकाओं व विसंगतियों का हल तो होगा नहीं,
जितने पद व्याख्याताओं के लिये हैं, उन पर तत्काल प्राचार्य पदोन्नति सूची जारी कर देना चाहिए ,न्यूनतम 200 पदों की प्रतीक्षा सूची के साथ,शेष पदों पर न्यायालय का निर्णय आने पर पदोन्नति दी जाये,यहाँ यह स्पष्ट करना उचित होगा कि 6 माह ,1 साल शेष रह गए व्याख्याताओं के प्राचार्य बनने के 1 साल बाद तो ये प्राचार्य पद पुनः रिक्त हो जाएंगे,प्राचार्य बनने से पदनाम परिवर्तित होने के अलावा पेंशन में यदि कोई परिवर्तन होता है,तो इस लाभ से भी व्याख्याता वंचित हो रहे हैं ।जब तक सीनियर व्याख्याताओं की पदोन्नति नहीं होगी तो उससे जूनियर व्याख्याता पदोन्नति कैसे प्राप्त करेगा।
यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जिन संवर्ग, प्रधानपाठक और एल बी की अभी पात्रता ही नही बनती उनके लिए व्याख्याता ओं की पदोन्नति प्रभावित ना होने देना शासन और अधिकारियों की महती जिम्मेदारी है। पूर्व नियम अंतर्गत 12 साल के क्रम से पदोन्नति दिया जाता था, जिसके कारण भी अधिक व्याख्याता प्राचार्य पद पर नहीं पहुंच पाये और एक संवर्ग जो 7 – 7 साल में पदोन्नति प्राप्त करने का लाभ लिया,अभी 2018 में संविलियन होते ही प्राचार्य पदोन्नति का पात्र हो गया,ऐसी स्थिति में अभी 7 साल से अधिक वर्षों से व्याख्याता पद पर कार्यरत व्यक्ति प्राचार्य पद से क्यों वंचित रहना चाहिए।
माननीय सचिव महोदय से मुलाकात में विभिन्न जिलों के जिला अध्यक्ष व पदाधिकारी जनभान पैकरा, समी अख्तर, मालिक राम जोशी,राजकुमार साहू,गंगा प्रसाद तिवारी,भूपेन्द्र नायक,अरुण सिन्हा,कमलेश सिंह,राजेंद्र सोनी,तपानाथ पाठक, विकास नायक राय,महेंद्र शर्मा,दयाल सिंग,चंद्रशेखर साहू,अजय गुरला,कयूम खान,एम एल टण्डन,अजय सेन,शंकर नेताम,कल्पना झा,अवनीश तिवारी,अशोक नायक,एस आर मरावी,सुधीर शर्मा, अरुण मिश्रा सियाराम नेताम,रामकुमार रजवाड़े, प्रदीप मिश्रा, ओम प्रकाश गुप्ता,कवीन्द्र सेन,आदि उपस्थित थे।