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500 धनवान कंपनियों में JIO कंपनी टॉप पर

बिजनेस: मुकेश अंबानी जी की जिओ कंपनी मूल्यवान कंपनियों में टॉप पर है. 20 अगस्त को हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने Hurun Global 500 द्वारा जारी इस सूची के मुताबिक भारतीय कंपनियों में सबसे ऊपर रिलायंस है और उसके बाद टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) और एचडीएफसी बैंक हैं। दुनिया की सबसे अधिक मूल्यवान कंपनी एप्पल है। इनमेंं वे कंपनियां भी शामिल हैं जो निजी कंपनियों में लिस्टेड नहीं हैं। वहीं 2021 के लिए हुरुन ग्लोबल 500 में 12 भारतीय कंपनियों में इस बार विप्रो लिमिटेड, एशियन पेंट्स लिमिटेड और एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने जगह बनाई, जबकि आईटीसी लिमिटेड बाहर हो गई।

भारतीय कंपनियों में रिलायंस सबसे ऊपर
हुरुन की शीर्ष 500 कंपनियों की सूची में भारत से सबसे ऊपर रिलायंस इंडस्ट्रीज का नाम है। रिलायंस की वैल्यू में इस साल 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और इसे 18.8 हजार करोड़ डॉलर (13.98 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी के साथ 57वें स्थान पर रखा गया है। टीसीएस की पूंजी एक साल में 18 फीसदी बढ़कर 16.4 हजार करोड़ डॉलर (12.2 लाख करोड़ रुपये) हो गई। एचडीएफसी बैंक की पूंजी 11.3 हजार करोड़ डॉलर (8.40 लाख करोड़ रुपये) आंकी गई है। इस बार टॉप 500 वैल्यूएबल कंपनियों की सूची से 48 कंपनियों बाहर हुई हैं जिसमें आईटीसी भी है। आईटीसी को पिछले साल 2020 की सूची में 480वें स्थान पर रखा गया था। एप्पल की वैल्यू 2.44 लाख करोड़ डॉलर, माइक्रोसॉफ्ट की 2.11 लाख करोड़ डॉलर, अमेजन की 1.8 लाख करोड़ डॉलर और अल्फाबेट की 1.7 लाख करोड़ डॉलर आंकी गई है।
सूची में 12 कंपनियों के साथ भारत ऑस्ट्रेलिया से एक पायदान ऊपर आ गया है। सूची में भारत ऊपर 9वें स्थान पर पहुंच गया। सूची में आठ शहर-आधारित कंपनियों के साथ मुंबई का सबसे अधिक प्रतिनिधित्व था, इसके बाद बेंगलुरु से दो और नोएडा और नई दिल्ली से एक-एक था। वित्तीय सेवाओं और सॉफ्टवेयर और सेवाओं ने चार कंपनियों के साथ नेतृत्व किया, इसके बाद हुरुन ग्लोबल 500 सूची में दो भारतीय फर्मों के साथ दूरसंचार का स्थान रहा।
सूची के अनुसार दुनिया की चार सबसे बड़ी कंपनियों एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और अल्फाबेट की वैल्यू कोविड टाइम में दोगुनी हुई है। इन चारों कंपनियों की कुल वैल्यू कोविड टाइम में 4 लाख करोड़ डॉलर (297.61 लाख करोड़ रुपये) बढ़कर 8 लाख करोड़ डॉलर (595.22 लाख करोड़ रुपये) हो गई. हुरुन की टॉप 500 कंपनियों में इन चारों कंपनियों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है. सूची में अमेरिका की 243, चीन की 47, जापान की 30 कंपनियां शामिल हैं. इस सूची में शामिल होने के लिए 3660 करोड़ डॉलर अमेरिकी (2.72 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी का कट ऑफ रखा गया।

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