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ब्रांडेड मेडिसिन के द्वारा मोटी इनाम के चलते नहीं लिखते हैं डॉक्टर जेनेरिक दवाएं

शेखर की रिपोर्ट

 अगर हमारी तबीयत खराब होती है तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं फिर डॉक्टर हमें कुछ दवाएं लिखता है और हम ठीक हो जाते हैं लेकिन डॉक्टर हमें कभी भी जेनेरिक दवाएं नहीं लिखते हैं जबकि जेनेरिक दवाएं सस्ती होती है डॉक्टर हमेशा मनी और ब्रांडेड दवाएं ही लिखते हैं क्या आपने कभी सोचा है डॉक्टर कभी भी जेनेरिक दवाएं क्यों नहीं लिखते हैं
जो डॉक्टर से मिलने के लिए मरीज से भी ज्यादा उतावले होते हैं जिसे मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव कहा जाता है किसी भी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम होता है अपनी कंपनी की दवाइयों का प्रचार करना और अपनी कंपनी की दवाएं लिखने के लिए डॉक्टर को मनाना या कहे सीधे-सीधे मजबूर करना जिसे वह मरीजों को उनकी कंपनी की महंगी दवाएं मरीजों को लिखें ऐसा करने के लिए कई बार डॉक्टर को इनाम भी दिया जाता है और यह इनाम कैच हो सकता है या फिर कोई महंगा गिफ्ट या फिर कुछ और भी हो सकता है
आपको बताते जाएं कि जेनेरिक दवाएं को लेकर डॉक्टर के मन में आशंका है या फिर यूं कर लीजिए कि कुछ डर होता है जिस कारण वह उन्हें मरीज को देना नहीं चाहते हैं उनके अनुसार इन दवाओं के बाय अवेलेबिलिटी ठीक नहीं होती है इन दवाओं का कोई क्लीनिकल परीक्षण नहीं होता है और ना ही मरीजों पर इनका क्या क्या असर होता है उसका अध्ययन नहीं किया जाता है इसके अलावा कई मरीज मरीज ऐसे भी होते हैं जो सरकारी हॉस्पिटल जाकर भी जेनेरिक दवाएं लेना नहीं चाहते हैं एक जानकारी के मुताबिक जनरल अदाओं का सबसे बड़ा निर्माता भारत माना जाता है लेकिन फिर भी इन दवाओं की गुणवत्ता में सुधार थोड़ी जरूरत है और साहब जल्दी जवाब ना देने के लिए भी पूरी तरह से डॉक्टर को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है जेनेरिक दवाएं की क्वालिटी में सुधार करके इन दवाओं को महंगी और ब्रांडेड दवाओं के बराबर लाकर इस समय समस्याओं को हल किया जा सकता है की वजह से डॉक्टर जैनेटिक जेनेरिक दवाएं देने में क्यों हिचकी चाहते हैं

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