12वीं के छात्रों कोे टीका लगाना है आवश्यक

नई दिल्ली। 12वीं की परीक्षाओं के मुद्दे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मांग रखी कि बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने से पहले 12वीं के छात्रों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाए। इनमें से करीब 95 फीसदी बच्चे 17.5 साल से अधिक के है।
सिसोदिया ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि केंद्र को विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए कि इन्हें कोविशील्ड या कोवाक्सीन का टीका दिया जा सकता है या नहीं। उन्होंने बच्चों के टीके लिए फाइजर से भी विमर्श करने का सुझाव दिया क्योंकि बच्चों पर उसके टीके का ट्रायल पूरा हो चुका है।
असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और मेघालय ने भी केंद्र सरकार से छात्रों व शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाने का आग्रह किया है ताकि वे लोग परीक्षा केंद्र पर सुरक्षित रह सकें।
निजी दवा कंपनी के विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब तक बच्चों के लिए ही अधिकृत वैक्सीन नहीं है, उनका टीकाकरण नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञ ने बताया कि 2 से 18 साल के बच्चों पर कोवाक्सिन का ट्रायल शुरू हो चुका है लेकिन कोविशील्ड के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। अभी तक 12 साल से अधिक के बच्चों के लिए केवल फाइजर का टीका ही है।
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Motilal Oswal
उन्होंने कहा कि कंपनी ये टीका अन्य देशों को सप्लाई कर रही है लेकिन यहां उसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। इसके साथ ही कंपनी भी टीका उपलब्ध कराने की इच्छुक होनी चाहिए। वहीं अगर भारतीय टीकों का ट्रायल कामयाब भी हो जाता है तो यहां उनकी वैसे ही कमी है। ऐसे हालात में बच्चों का टीकाकरण काफी अव्यावहारिक है।
वहीं काउंसिल फॉर हेल्थकेयर और फार्मा के अध्यक्ष डॉ. गुरप्रीत संधू ने कहा कि हम धीरे धीरे सामान्य हालात की ओर बढ़ रहे हैं और तेज टीकाकरण के कारण सामान्य गतिविधियां संभव हो पा रही हैं। इसलिए बच्चों को टीकाकरण में शामिल करना बेहद जरूरी है।
जीन स्ट्रिंग्स डायग्नोस्टिक एंड सीड्स ऑफ इनोसेंस की संस्थापक डॉ. गौरी अग्रवाल ने कहा कि परीक्षा से पहले छात्रों का टीकाकरण समय की जरूरत है। इससे कोरोना संक्रमण तथा उससे जुड़ी खतरों जैसे एमआईएस-सी से भी बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
वहीं डॉ. अक्षय बुद्धिराजा ने कहा कि छात्रों को संक्रमण होने की संभावना है और उन्हें इससे सुरक्षा मिलनी चाहिए। बच्चों पर भारतीय टीकों का ट्रायल होना चाहिए। टीके की एक खुराक ही काफी प्रभावी है और ये 80 फीसदी से अधिक सुरक्षा प्रदान करती है। वहीं बूस्टर खुराक हमें हमेशा के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।