ऋषिकेश पांडे का हुआ तलाक

मुंबई। एक्टर ऋषिकेश पांडे का पत्नी त्रिशा दुबाश से तलाक हो गया है। दोनों ने साल 2004 में शादी रचाई थी, लेकिन शादी के कुछ साल बाद ही दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा था। कपल ने साल 2014 में अलग-अलग रहना शुरू कर दिया था और फिर तलाक की अर्जी भी दे दी थी। अब इस अर्जी के सात साल बाद कपल का तलाक मंजूर हुआ है। इस बारे में बात करते हुए ऋषिकेश ने कई बातें कही है और उन्होंने बताया है कि उनके बेटे की कस्टडी किसे मिली है। एक्टर ने ये भी बताया कि वो इतने सालों तक चुप क्यों रहे। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में ऋषिकेश ने अपने और त्रिशा के रिश्ते के बारे में खुलकर बात की है। एक्टर ने कहा कि वो नहीं चाहते थे कि चीजें और खराब हो जाए। हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है और तलाक के बाद भी हम दोस्त बने रहेंगे।
एंटरटेनमेंट वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में ऋषिकेश पांडे ने अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा कि, ”वक्त के साथ हमें महसूस हुआ कि हमारे बीच आपसी तालमेल की कमी है। हम दोनों ने फिर अलग रहना शुरू कर दिया क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि चीजें और भी बदतर हो जाएं। इतने सालों तक मैं इसलिए चुप रहा क्योंकि मैंने हमेशा अपनी प्राइवेसी की इज्जत की है। मैं इस बारे में इसलिए बात कर सकता हूं क्योंकि अब तलाक हो चुका है।’
एक्टर ने आगे कहा कि, ‘हम दोनों के मन में एक-दूसरे को लेकर किसी तरह की कोई कड़वाहट नहीं है। मैंने और त्रिशा ने मैच्योरिटी के साथ इसे हैंडल किया। मैं उसका और मेरे सास-ससुर का आभारी हूं, जिन्होंने हमारे अलग होने के फैसले के बावजूद हमें सपोर्ट किया।’ तलाक के बाद बेटे दक्ष की कस्टडी ऋषिकेश पांडे को मिल गई है। उन्होंने बताया कि बेटे के कारण भी वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चुप रहे। उन्होंने कहा, ‘अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर अब तक चुप रहने का एक कारण मेरा बेटा भी था। मैं नहीं चाहता था कि इतनी छोटी सी उम्र में मेरे अलग होने की खबरें पढ़े। अब वह 12 साल का हो चुका है और इतना समझदार भी कि समझ जाए कि हम कैसे वक्त से गुजरे। हालांकि सबकुछ बैलेंस करना और एक शादीशुदा आदमी की तरह नाटक करना बहुत बड़ा चैलेंज था, पर किसी तरह मैं यह करने में कामयाब रहा।’ऋषिकेश ने कहा कि भले ही उन्हें बेटे की कस्टडी मिल गई है पर वह अपनी मां से मिलने के लिए एकदम स्वतंत्र है। वह जब चाहे उनसे मिल सकता है। वो आगे कहते हैं, ‘मैं घंटों-घंटों शूटिंग करता हूं और इसलिए नहीं चाहता कि मेरा बेटा अकेला घर पर रहे। इसलिए मैंने उसका एडमिशन एक हॉस्टल में करवा दिया। ऐसा भी वक्त था जब मैं उसके स्कूल के फंक्शन में शामिल होने के लिए रातभर ड्राइव करके आता था। वह मेरे काम को समझता है। उसका अपनी मां और नाना-नानी के साथ भी अच्छा रिश्ता है। भले ही मुझे उसकी कस्टडी मिल गई है पर वह जब चाहे अपनी मम्मी से मिल सकता है।’