चित्रकूट जेल में शुक्रवार को शूटर अंशु दीक्षित ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के खास मेराज अहमद और पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद वह खुद भी पुलिस की गोली से मारा गया। शूटर अंशु दीक्षित 90 के दशक के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला की राह पर था। गोरखपुर में श्रीप्रकाश की बहन के साथ मोहल्ले के एक युवक ने छेड़खानी कर दी थी। यह बात श्रीप्रकाश को पता चली तो उसने उस युवक को गोली मार दी थी। साल 1998 में श्रीप्रकाश गाजियाबाद में STF के एनकाउंटर में ढेर हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी अंशु दीक्षित की है।
बात साल 2014 की है। अंशु STF की गिरफ्त में आ चुका था। पूछताछ कके दौरान उसने अपराध की दुनिया में उतरने की कहानी सुनाई थी। उसका कहना था कि एक राजनैतिक पार्टी के नेता का बेटा उसकी बहन के साथ आए दिन छेड़खानी करता था। जब यह बात अंशु को पता चली तो उसने विरोध किया। लेकिन नेता के बेटे ने अंशु को जमकर पीटा और उस पर फायर कर दिया। अंशु खुशनसीब था, गोली उसके पैर में लगी। अंशु ने इसकी शिकायत पुलिस से की।
लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करने से मना कर दिया। बदले में नेता और उसके बेटे ने अंशु के परिवार का उत्पीड़न शुरु कर दिया। इस दौरान परिवार को काफी दुख सहना पड़ा। भाभी के गर्भ में पल रहे शिशु की भी मौत हो गई। इसके बाद अंशु ने ठान लिया कि वह सबक सिखकर रहेगा। अंशु ने सियासी दुनिया में अपना एक आका बनाया। इसके बाद वह जुर्म की राह पर ऐसा चला कि उसका चित्रकूट जेल में अंजाम तक पहुंच गया।
चित्रकूट जेल में शुक्रवार (14 मई) को कैदियों के बीच गोली चल गई। इसमें वेस्ट UP के गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। मेराज बनारस जेल से भेजा गया था, जबकि मुकीम काला सहारनपुर जेल से लाया गया था। पुलिस ने अंशु दीक्षित को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन करीब 45 मिनट तक वह फायरिंग करता रहा। बाद में पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अंशु भी मारा गया।