Health

एबी और बी वालों को खतरा ज्यादा, ओ ग्रुप वाले सबसे बेहतर

कोविड-19 वायरस को लेकर आए दिन नए-नए शोध सामने आते रहते हैं, जिनसे हमें इस बीमारी से संबंधित विभिन्न जानकारियां मिलती रहती हैं। हाल ही में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने भी कोरोना वायरस को लेकर एक सर्वे किया और उससे संबंधित जानकारी प्रकाशित की। इस सर्वे के जो नतीजे सामने आए उसके अनुसार एबी और बी ब्लड ग्रुप वाले लोग अन्य ब्लड ग्रुप की तुलना में कोरोना संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। सर्वे के बाद जिस पत्र में  सीएसआईआर ने नतीजे प्रकाशित किए उसमें कहा गया, ‘देशभर से जुटाए गए नमूनों की जांच की गई। स्टडी में यह बात सामने आई कि ओ ब्लड ग्रुप वाले नमूनों का समूह कोरोना वायरस से सबसे कम प्रभावित था। वहीं, ओ ब्लड ग्रुप वाले नमूने जिनमें कोरोना का संक्रमण था, उनमें ज्यादातर हल्के लक्षण ही दिखे या फिर वे नमूने असिम्प्टोमटिक (बिना लक्षण वाले) थे। इसके अलावा सीएसआईआर द्वारा कराए गए राष्ट्रव्यापी सीरो पॉजिटिविटी सर्वे पर आधारित एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग मांस का सेवन करते हैं, वे शाकाहारियों की तुलना में कोरोना संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। रिपोर्ट में इस अंतर का जिम्मेदार शाकाहारी भोजन में मौजूद हाई फाइबर को ठहराया गया है जो शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने की क्षमता रखता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइबर युक्त आहार एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है, जो शरीर में संक्रमण के बाद की जटिलताओं को रोकने की क्षमता रखता है और यह संक्रमण होने से भी रोक सकता है। ऐसी शक्ति मांसाहारी भोजन में कम ही होती है। बता दें देशभर में 10 हजार से अधिक लोगों के नमूनों की जांच 140 डॉक्टरों के एक समूह ने की, जिसके बाद यह रिपोर्ट सामने आई है। सर्वे में यह भी पाया गया कि जिन लोगों के नमूनों की जांच की गई, उनमें कोरोना वायरस से सबसे अधिक संक्रमित नमूने एबी ब्लड ग्रुप के लोगों और उसके बाद बी ब्लड ग्रुप के लोगों के निकले जबकि ओ समूह के नमूनों में सबसे कम संक्रमण दिखा। इस रिपोर्ट पर एक समाचार चैनल से बात करते हुए आगरा के पैथोलॉजिस्ट डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि सब कुछ किसी व्यक्ति की आनुवांशिक संरचना पर निर्भर करता है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया से पीड़ित लोग मलेरिया से शायद ही कभी प्रभावित होते हैं। इसी तरह ऐसे कई उदाहरण हैं जब पूरा परिवार कोविड से संक्रमित हो गया, लेकिन परिवार का एक सदस्य अप्रभावित रहा। यह सब आनुवंशिक संरचना के कारण होता है। 

डॉ. शर्मा ने आगे कहा कि यह संभव है कि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में एबी और बी समूहों की तुलना में इस वायरस के खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा होती है। हालांकि अभी इस पर आगे और विस्तृत अध्ययन होना बाकी है। इसका मतलब यह नहीं है कि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोग सभी कोविड रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करना छोड़ सकते हैं, क्योंकि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोग वायरस से पूरी तरह से प्रतिरक्षा नहीं रखते हैं और जटिलताएं भी विकसित कर रहे हैं। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button